दिल्ली : पीयूसी केंद्रों पर नहीं लगेगी कतार, प्रदूषण पर होगा वार, ऐसे ठिकानों की संख्या में होगा विस्तार

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दिल्ली : पीयूसी केंद्रों पर नहीं लगेगी कतार, प्रदूषण पर होगा वार, ऐसे ठिकानों की संख्या में होगा विस्तार

दिल्ली
परिवहन विभाग पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) केंद्रों की संख्या बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। इससे जहां प्रदूषण घटेगा, वहीं वाहन चालकों को भी जल्द प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाने में सहूलियत होगी। राजधानी में वाहन चालकों को वाहनों की प्रदूषण जांच कराने के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। परिवहन विभाग पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) केंद्रों की संख्या बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। इससे जहां प्रदूषण घटेगा, वहीं वाहन चालकों को भी जल्द प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाने में सहूलियत होगी। विभागीय सूत्रों का कहना है कि जल्द होने वाली आगामी बैठक में इस पर फैसला संभव है। परिवहन विभाग के मुताबिक, मौजूदा समय में 943 पीयूसी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। दिल्ली में 26 सितंबर तक 33.56 लाख पीयूसी प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। बता दें कि वर्ष 2022 में 50 लाख से अधिक पीयूसी प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। सर्दियों में वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए पीयूसी करवाना अनिवार्य किया गया है। वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को लेकर काफी सख्ती बरती जा रही है। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह से वाहनों की संख्या में वृद्धि हो रही है, उसके मुकाबले पीयूसी केंद्रों का विस्तार नहीं किया गया है। इससे वाहन चालक पीयूसी के लिए घंटों लंबी लाइनों पर खड़े रहते हैं। ऐसे में परिवहन विभाग वाहन चालकों की सुविधा को लेकर कार्य कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल पीयूसी केंद्रों की संख्या 1200 करने की योजना है। हंगी हो सकती है जांच परिवहन विभाग ने पीयूसी की दर बढ़ाने की प्रक्रिया के लिए समिति का गठन किया है, जोकि मौजूदा दरों का मूल्यांकन कर जांच दर बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयार करेगी। ऐसे में पीयूसी की जांच महंगी हो सकती है। मौजूदा समय में दोपहिया वाहनों की प्रदूषण जांच के लिए 60 रुपये, पेट्रोल चालित चारपहिया वाहन के लिए 80 रुपये और डीजल वाहन के लिए 100 रुपये देने होते हैं। इसके अलावा अलग से 18 प्रतिशत जीएसटी देना होता है। बीएस-6 वाहनों की वर्ष में एक बार और बीएस-4 वाहनों की हर छह माह में एक बार प्रदूषण जांच करानी होती है। बता दें कि वर्ष 2011 से पीयूसी की आखिरी बार जांच दर बढ़ाई गई थी। 10 हजार जुर्माने का प्रावधान पीयूसी वाहन की जांच के बाद दिया जाने वाला प्रमाणपत्र है। वाहन का उपयोग करते समय पीयूसी सर्टिफिकेट को साथ रखना जरूरी है। इसका उद्देश्य बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रण में करना है। मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार वैध पीयूसी प्रमाणपत्र के बिना पकड़े जाने पर वाहन मालिकों को छह महीने तक की जेल या 10 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के अनुसार प्रत्येक मोटर वाहन, जिसमें बीएस-एक, दो, तीन, चार के अनुरूप और सीएनजी व एलपीजी से चलने वाले वाहन शामिल हैं। इनके रजिस्ट्रेशन की तारीख से एक साल की अवधि समाप्त होने के बाद एक वैध पीयूसी प्रमाण पत्र ले जाना आवश्यक है। हालांकि, चारपहिया बीएस-चार वाले वाहनों के लिए वैधता एक वर्ष और अन्य के लिए तीन महीने है।

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