सैनिटाइजर और साबुन खाकर अस्पताल पहुंच रहे लोग, एम्स में आ रहे ऐसे मामले

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सैनिटाइजर और साबुन खाकर अस्पताल पहुंच रहे लोग, एम्स में आ रहे ऐसे मामले

दिल्ली-एनसीआर
एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग में रोज ऐसे कई मामले पहुंच रहे हैं। इनमें से कई मामलों को फोन पर ही सुलझा लिया जाता है, जबकि कई में गंभीरता को देखते हुए मरीज को अस्पताल लाना पड़ता है। घरों में आम जरूरत के इस्तेमाल के लिए रहने वाले सैनिटाइजर, साबुन, मॉस्किटो कॉइल, माचिस की तिल्ली, फ्लोर क्लीनर समेत अन्य तरल पदार्थ खा-पीकर बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग में रोज ऐसे कई मामले पहुंच रहे हैं। इनमें से कई मामलों को फोन पर ही सुलझा लिया जाता है, जबकि कई में गंभीरता को देखते हुए मरीज को अस्पताल लाना पड़ता है। दरअसल, फार्माकोलॉजी विभाग ऐसे मामलों से बचाव के लिए हेल्पलाइन की सुविधा देता है। इसमें कोई भी सातों दिन 24 घंटे कॉल करके बचाव के लिए मदद ले सकता है। कॉल करने के बाद पीड़ित से जानकारी ली जाती है कि उक्त व्यक्ति ने क्या खाया या पीया है? उसकी मात्रा क्या है, कितना समय हो गया है? शरीर की स्थिति कैसी है। उसकी उम्र व शरीर कैसा है। यह सभी प्रकार की जानकारी लेने के बाद उक्त को बचाव की जानकारी दी जाती है। विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि देशभर से आने वाले कुल कॉल में सबसे ज्यादा 40 फीसदी मामले ऐसे ही होते हैं जिसमें घर में इस्तेमाल होने वाले विषैले वस्तु का सेवन किया होता है। इसमें कई बार बच्चे या अन्य लोग गलती से या फिर जानबूझकर ऐसा करते हैं। चलाया जा रहा जागरूकता कार्यक्रम जहरीली वस्तु से बचाव के लिए एम्स जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। एम्स का फार्माकोलॉजी विभाग बच्चों, अभिभावकों व अन्य को जागरूक कर जहरीली वस्तु से दूर रहने की जानकारी दे रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि अक्सर गलती से बच्चे या अन्य कुछ ऐसा खा लेते हैं जिससे शरीर को नुकसान हो जाता है। ऐसे में इनकी पहचान और बचाव के बारे में जानकारी दी जाती है। स्थापना दिवस के अवसर पर भी विभाग ने जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है। 24 घंटे मिलती है मदद एम्स, नई दिल्ली में चलने वाले नेशनल पॉइजन इंफॉर्मेशन सेंटर में 24 घंटे मदद मिलती है। देशभर से कोई भी टोल फ्री नंबर 1800116117 के अलावा संस्थान के 26589391 और 26593677 नंबर पर संपर्क कर सकता है। इसके अलावा [email protected] पर मेल करके संपर्क कर सकता है। इसपर संपर्क करने पर तुरंत प्रक्रिया दी जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि सेंटर में रोजाना 30-40 कॉल आते हैं। इनमें ज्यादातर कॉल घरेलू सामान से होने वाले नुकसान को लेकर आते हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों को फोन पर ही समझा दिया जाता है। कुछ में गंभीर लक्षण का पता चलता है जिसे तुरंत अस्पताल ले जाने की सलाह दी जाती है।

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