स्वार्म, स्पाइड नैनो और रेप्टर ड्रोन बढ़ाएंगे सेना की ताकत, कृषि में भी इनका होगा उपयोग
दिल्ली-एनसीआर
कार्यक्रम के समापन के दौरान हिंडन एयरबेस में कुल 14 ड्रोन ने अलग-अलग तरह उड़ान भरी। इस बीच अभिभावकों के साथ आए बच्चों ने भी स्टार्टअप कंपनी फ्लाई कैंप के ट्रेनिंग ड्रोन उड़ाने का अनुभव लिया। इसमें आठ साल से अधिक उम्र के बच्चों व लोगों ने पंजीकरण कराकर ड्रोन उड़ाया। भारतीय वायुसेना के हिंडन एयरबेस में ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के भारत ड्रोन शक्ति-2023 में निजी कंपनियों के कई ऐसे ड्रोन थे जो आने वाले समय में देश की सुरक्षा से लेकर कृषि क्षेत्र में नजर आएंगे। खास बात है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना अधिकारियों के साथ नामी कंपनियों के ड्रोन को देखा। फिर उनका विभिन्न क्षेत्र में प्रयोग करने की बात कही। एक निजी कंपनी ने देश की सुरक्षा के लिहाज से रात्रि ऑपरेशन के लिए सर्विलांस ड्रोन और दस किलोग्राम के वजन को लक्ष्य तक ले जाने के लिए स्वार्म ड्रोन बनाया है। उच्च तकनीक से बने इस ड्रोन की खासियत है कि एक व्यक्ति आठ से दस ड्रोन को एक साथ उड़ा सकता है। यह ड्रोन मिशन के दौरान सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ा हथियार बन सकता है। कंपनी के एजेंट ने बताया क इस ड्रोन की रेंज पांच किलोमीटर है। यह हवा में एक घंटे तक आसानी से उड़ सकता है। विशेष बात है कि स्वार्म ड्रोन 360 डिग्री में चारों तरफ सर्विलांस ट्रेकिंग कर सेना के कंट्रोल रूम तक तस्वीरें भी भेज सकता है। यह 35 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी ज्यादा रफ्तार से चलने वाली हवाओं का भी झेलने में सक्षम है।भारतीय सेना का अभिन्न अंग- नेत्र ड्रोन लद्दाख हमले के बाद देश की सुरक्षा में नेत्र ड्रोन का अहम योगदान देखा जाता है। बॉलीवुड मूवी थ्री इडिएट के बाद इस निर्माता कंपनी को हर कोई जानने लगा। ड्रोन स्विच की मांग सबसे ज्यादा है । यह हवाई उड़ान भरने के बाद 15 किलोमीटर तक का क्षेत्र कवर करता है। कंपनी के एजेंट ने जानकारी दी कि भारत ड्रोन शक्ति कार्यक्रम में भारतीय सेना ने 100 से ज्यादा ये ड्रोन कैमरे मांगे हैं। कार्बन फाइबर से बना ड्रोन छह किलोग्राम का है। इसका उपयोग रात और दिन दोनों समय किया जा सकता है। इतना ही नहीं, ड्रोन की खासियत है कि यह उड़ने के दौरान रास्ते में आने वाली किसी परिस्थिति में खुद को ढाल लेता है। इसकी उड़ान क्षमता करीब 90 मिनट है। 75 किग्रा वजन उठाने में सक्षम है रेप्टर ड्रोन मेक इन इंडिया रेप्टर ड्रोन का वजन 150 किग्रा है। इसमें कुल 16 मोटर और 32 पंखे हैं। इसकी बॉडी कार्बन फाइबर से युक्त है। खास बात है कि यह 75 किलोग्राम वजन उठाने में सक्षम है। यह सबसे ज्यादा पांच किलोमीटर तक जाकर उड़ सकता है। उड़ने के बाद यह हवा में 30 मिनट तक रुक सकता है। यह कृषि क्षेत्र के लिए उपयोग होता है। इससे खेतों में उर्वरक का छिड़काव भी किया जाता है। अभिभावकों के साथ बच्चों ने उड़ाया ड्रोनकार्यक्रम के समापन के दौरान हिंडन एयरबेस में कुल 14 ड्रोन ने अलग-अलग तरह उड़ान भरी। इस बीच अभिभावकों के साथ आए बच्चों ने भी स्टार्टअप वाली फ्लाई कैंप कंपनी के ट्रेनिंग ड्रोन उड़ाने का अनुभव लिया। इसमें आठ साल से अधिक उम्र के बच्चों व लोगों ने पंजीकरण कराकर ड्रोन उड़ाया। फ्लाई कैंप बंगलुरु के छात्र-छात्राओं का स्टार्ट अप है। 400 ग्राम के वाले ट्रेनिंग ड्रोन की कीमत सबसे कम 50 हजार रुपये है। हालांकि इसे बाजार में खरीदा या बेचा नहीं जा सकता। स्कूली छात्र-छात्राओं ने ली ड्रोन की जानकारी ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के स्मित शाह, माधवी और यश ने वायुसेना स्कूल, कैंब्रिंज स्कूल नोएडा, डीपीएसजी वसुंधरा समेत अन्य स्कूल कॉलेजों के छात्र-छात्राओं को कार्यशाला में ड्रोन की जानकारी दी। फेडरेशन की मीडिया कोर्डिनेटर माधवी ने बताया कि कार्यशाला में बच्चों को ड्रोन की विशेषता, उड़ाने का तरीका, सेल ड्रोन, लाइसेंस पायलट और ड्रोन उड़ाने की अनुमति के बारे में बताया। इसके साथ ही कौन-कौन से ड्रोन आपदा के समय या देश की सेवा व सुरक्षा के लिए उपयोग होते है। उन सभी को स्क्रीन पर दिखाया गया।