वाटर स्पोर्ट्स: संघर्ष जितना कठिन…जज्बात उतने गहरे, अब बहन की शादी का कर्ज उतार पिता का इलाज कराएंगे पुनीत

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वाटर स्पोर्ट्स: संघर्ष जितना कठिन…जज्बात उतने गहरे, अब बहन की शादी का कर्ज उतार पिता का इलाज कराएंगे पुनीत

दिल्ली
कठिन संघर्ष के बाद देश का नाम रोशन करने वाले मुजफ्फरनगर के काकड़ा निवासी पुनीत बहन की शादी में लिया कर्ज उतारकर पिता का इलाज कराना चाहते हैं। हांगझोऊ के फुयांग वाटर स्पोर्ट्स सेंटर पर कॉक्स्ड-8 इवेंट में जीते रजत पदक ने रोइंग खिलाड़ियों की झोली खुशियों से भर दी। कठिन संघर्ष के बाद देश का नाम रोशन करने वाले मुजफ्फरनगर के काकड़ा निवासी पुनीत बहन की शादी में लिया कर्ज उतारकर पिता का इलाज कराना चाहते हैं। वहीं, जयपुर के अर्जुन ने पदक अपनी मां के संघर्ष को समर्पित किया है। जीत की खुशी पर उन्होंने यूं बयां किए जज्बात… मुजफ्फरनगर के लाल पुनीत कराएंगे पिता का इलाज स्पर्धा शुरू होने से पहले पुनीत ने साथियों से कहा, हमें आज पूरा जोर लगा देना है। पदक हम सबकी जिंदगी बदल सकता है…और हुआ भी कुछ ऐसा ही। पदक जीतने के बाद पुनीत की जिंदगी बदलने वाली है। केंद्र व राज्य सरकार से मिलने वाली पुरस्कार राशि उनकी मुश्किलों की राह को आसान बनाएगी। पुनीत कहते हैं, अब बहन की शादी के लिए लिया 14 लाख रुपये का कर्ज उतार सकेंगे। दूसरी बहन की शादी बिना कर्ज के धूमधाम से कर सकेंगे। फेफड़ों में पानी भरने की बीमारी से जूझ रहे पिता का इलाज करा सकेंगे। पुनीत का संघर्ष इसलिए भी बड़ा है, क्योंकि जब वह एशियाड में पदक के लिए लड़ रहे थे, उनके पिता इलाज के लिए अस्पताल में जूझ रहे थे। उनके पिता की 2017 में बाईपास सर्जरी हुई है। उन्होंने कहा कि पदक जीतने के बाद सिर से बड़ा बोझ उतर गया है। पिता के इलाज के बाद पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जुट जाऊंगा। अर्जुन लाल जाट : कच्चे घर में जिंदगी गुजारी लाइटवेट डबल स्कल्स में रजत जीतने वाले जयपुर के शाहपुरा के अर्जुन लाल जाट मां के गले में पदक डालेंगे। कहा, मां ने बहुत संघर्ष किया है। कभी हम कच्चे घर में जीवन गुजार रहे थे। मां एक किलोमीटर दूर हैंडपंप से पानी लाती थीं। बड़े भाई सेना में भर्ती हुए, तब घर में नल लगा। तीनों बड़े भाइयों की वजह से वह भी सेना में भर्ती हुए। पदक मां के संघर्ष को समर्पित है। अरविंद सिंह : एशियाड की छोड़ दी थी उम्मीद अर्जुन के साथ रजत जीतने वाले अरविंद सिंह बताते हैं, उन्होंने एशियाई खेलों में भाग लेने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। दो माह पहले उनकी पीठ में असहनीय पीड़ा थी। वह 20 से 25 दिन अभ्यास से दूर रह गए, लेकिन कोच इस्माइल बेग ने प्रेरित किया। इलाज के बाद खेलने लायक हुए।

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