महाविद्याल में दो वार्षिक क्रीडा समारोह 2024 का हुआ समापन
छात्र जीवन की क्रिया कलाप ही हमारे जीवन की करती दिशा तय: प्रा. प्रो. शाहिद परवेज
भदोही। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजकीय महाविद्यालय में गुरुवार को दो दिवसीय वार्षिक क्रीड़ा समारोह का समापन गुरुवार को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्राचार्य प्रो. डॉ. शाहिद परवेज उपस्थित रहे. क्रीडा प्रभारी श्री बृजेश कुमार ने प्राचार्य प्रो. (डॉ.) शाहिद परवेज का स्वागत किया। प्राचार्य ने बताया कि खेलों की तरह जीवन में भी चैंपियन बनने के लिए एक गोल निश्चित कर उसे प्राप्त करने के लिए जी जान लगा देना चाहिए और अनुशासित होकर मेहनत करने पर हम उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उसके पश्चात देश और समाज सभी के लिए हम अपना अमूल्य योगदान देकर चैंपियन बन सकते हैं। छात्र जीवन की क्रिया-कलाप ही हमारे आने वाले जीवन की दिशा तय कर देते हैं। छात्रों को स्वाध्याय और कसरत अवश्य करना चाहिए। अनुशासन, तपस्या और एकाग्रचित होकर प्रयास करने पर हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। जीवन में सफल होने के लिए हमें इन गुणों का अपने अंदर विकास करना होगा। बृजेश कुमार ने बताया कि गुरुवार को दूसरे दिन लंबी कूद, ऊंची कूद, 400 मीटर दौड़, 200 मीटर दौड़ फाइनल, 400 मीटर रिले दौड़ और डिस्कस थ्रो और भाला फेंक छात्रा वर्ग प्रतियोगिताएं संपन्न हुआ। छात्र चैंपियन विवेक राजभर, बीएससी द्वितीय सेमेस्टर और छात्रा चैंपियन काजल पाल बीए तृतीय सेमेस्टर घोषित किए गए। प्राचार्य ने पुरस्कार वितरण करते हुए सभी विजेता छात्र-छात्राओं को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने रोवर्स रेंजर्स जनपदीय समागम 2024 में उपविजेता महाविद्यालय की रोवर्स टीम के साथ-साथ सभी रेंजर्स को पदक एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। क्रीड़ा प्रभारी बृजेश कुमार ने दो दिवसीय क्रीडा समारोह की रिपोर्ट प्रस्तुत की। सत्र का संचालन डॉ. रुस्तम अली ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आशुतोष कुमार श्रीवास्तव ने दिया। प्रतियोगिता संपन्न कराने में डॉ. राजकुमार सिंह यादव, डॉ माया यादव, डॉ रणजीत सिंह श्री अनुराग सिंह, डॉ. आशुतोस कुमार श्रीवास्तव, डॉ. भावना सिंह, डॉ सुजीत कुमार सिंह डॉ. अनीश कुमार मिश्र, डॉ. श्वेता सिंह, डॉ अमित तिवारी, ऋतिक रंजन सिंह, पूनम द्विवेदी, आशीष जायसवाल, श्री गुलाब धर तिवारी, कुंवर रोहितेश, देवब्रत मिश्र, संजय गौड़, पप्पू पाल सहित सभी कर्मचारी और प्राध्यापक गण की महती भूमिका रही।