4 मौलवी, 2 हाफिज और 3 कारी को जुब्ब-ए-दस्तार की दी गई सनद
मदरसा दारुल उलूम सईदिया में सालाना दस्तारे फरागत का हुआ एहतेमाम
आफताब अंसारी
भदोही। खमरियां स्थित मदरसा दारुल उलूम सईदिया में बीती रात सालाना जश्ने दस्तारे फरागत का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस का आगाज कलामे रब्बानी से हाफिज व कारी हारून रशीद ने किया। इस दौरान मेम्बरे नूर पे जलवाबार सितारों की मानिंद टिमटिमा रहे आलिम कारी व हुफ़्फ़ाजो को जुब्ब-ए-दस्तार की सनद उल्मा-ए-दीन के दस्ते मुबारक से आता कि गई। फारेगीन मौलवी मो. रेहान रजा बलरामपुर, मौलवी हामिद रजा बलरामपुर, मौलवी सुहेल अहमद अंसारी मिर्जापुर, मौलवी मो. जफीर आलमा झारखंड व हाफिज मो. तफ़सीर माधोसिंह, हाफिज मो. नाजिर हुसैन नेपाल तथा कारी मो. सुहेल रजा नेपाल, मो. अहमद जिलानी खमरियां, मो. अशरफ मध्य प्रदेश को हज़रत अल्लामा व मौलाना सैयद गुफरान अशरफ अशरफी व मेम्बरे नूर पे जलवाबार दीगर उल्मा-ए-दीन ने अपने दस्ते मुबारक से सनद व जुब्ब-ए- दस्तार आता की। इस हसीन और पुर कैफ मंजर को देख लोग रश्क कर रहे थे तो वहीं फारेगीन उल्मा-ए-कराम कारी-ए-कुरान व हुफ्फाज-ए-कराम के मां बाप तथा घर वालो के आंखों में खुशी के आंसू छलक रहे थे। लोग उन्हें दुआओं से नवाज रहे थे। मेम्बरे नूर पे जलवाबार हजरत अल्लामा मौलाना शहादत हुसैन नूरी ने कहा मदरसे के असतजा कराम की कड़ी मेहनतों का नतीजा है कि इन्ही मदरसों से फारिग हुए आलिमो के जरिये पूरी कायनात में सुन्नते खैरुल अनाम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम फैलाई जा रही है। अमन का परचम बुलंद किया जा रहा है। मौलाना ने कहा बड़े ही खुश नसीब वो मां बाप है जिन्होंने अपने बच्चों को दीन के सांचे में ढालने का काम किया। अल्लाह मैदाने महशर में ऐसे मां बाप के सरो पर चमकता हुआ ताज रखे गए जो पहचान लिए जाएंगे कि यही वो खुश नसीब मां बाप है जिन्होंने दुनिया मे अपने औलाद को हाफिजे कुरान बनाया जिन्होंने कारी-ए-कुरान बनाया जिन्होंने आलिमे दीन बनाया और वे दुनिया वालो को अल्लाह और अल्लाह के रसूल की बताई हुई बातो को लोगो तक पहुंचाया।मौलाना ने कहा कुरान को पढ़ो कुरान में शिफा है और मोमिनो के लिए रहमत है तो वहीं जालिमो के लिए खसारा है। कहा अल्लाह ने सारी मखलूक से खूबसूरत इंसान को बनाया लेकिन आज का इंसान अपने रब की नाफरमानी करता हुआ नजर आ रहा है। आज हमारा किरदार और चेहरा मुसलमान होने की गवाही नही दे रही है। मौलाना ने हादसे पाक बयान करते हुए कहा कि मेरे आका स.फरमाते है कि ऐ अली अपनी औलादों को तीन तरीके से परवरिश करो। पहला नबी स.की मोहब्बत सिखाओ। दूसरा मोहब्बते अहले बैत व तीसरा कुरान पढ़ाओ। कहा आज हम अपनी औलादों को इन सब चीजों से दूर किये हुए है। कहा अगर तुमने नबी स. की सुन्नतों को छोड़ दिया तो तुम गुमराह हो जाओगे तुम्हे परेशानियां अपनी आगोश में ले लेगी।आओ कुरआन को पढ़ो और अपने बच्चों को दिनी तालीमात से रौशन कर दो ताकि कल मैदाने महशर में तुम्हारा चेहरा चमकता हुआ नजर आए। वहीं शायर एहसान शाकिर ने नाते नबी पढा तो खूब सराहे गए। मेम्बरे नूर पे जलवाबार हजरत अल्लामा व मौलाना हुलां मुस्तफ़ा बुरहानी, अवैस रजा मिस्बाही, जीशान अहमद अमजदी आदि रहे। जल्से की सदारत हजरत अल्लामा व मौलाना मुफ़्ती आलमगीर अशरफ मिस्बाही ने की तो निज़ामत हाफिज व कारी मुमताज़ कादरी ने किया। वहीं सदरुल मुदर्रेसिन जामिया हेजा मौलाना व मदरसा के सदर को आये हुए सामईन ने उनके मेहनतों और नेक इरादों को सराहा तो वहीं उन लोगो ने आये हुए मेहमानों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।