पूराकलां तिराहे को आचार्य श्री विद्यासागर तिराहा नाम देने एवं विशाल द्वार बनबाने की घोषणा

Share
पूराकलां तिराहे को आचार्य श्री विद्यासागर तिराहा नाम देने एवं विशाल द्वार बनबाने की घोषणा
पहल टुडे
 ललितपुर-अपराजेय साधक जैन संत शिरोमणि आचार्य प्रवर मुनि विद्यासागर महाराज ने 18 फरवरी को छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़ में संल्लेखना विधि से देह त्याग किया। जिससे सम्पूर्ण विश्व जगत में शोक की लहर है। महामुनिराज के समाधिस्थ होने पर तालबेहट नगर के रामलीला मैदान में विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसका शुभारम्भ विद्यासागर पाठशाला परिवार की बहिनों एवं बच्चों ने ज्ञान दीप प्रज्वलित कर आचार्य वंदना से किया। शैवी, महक, निमिषा, आरोही, आन्या, जिनिषा आदि ने भजनों की प्रस्तुति दी।विनयांजलि सभा में पं. रामसेवक पाठक हरिकिंकर, बालमुकुंद पुरोहित, रामनारायण पाठक, हृदय नारायण उपाध्याय, भानु गोस्वामी, नरेन्द्र दीक्षित, राजेंद्र गोस्वामी, अनिल चौधरी, विजय मिश्रा, शशि भूषण संज्ञा, विशाल पवा, मुक्ता सोनी, रश्मि मोदी, अखिलेश, अजय, अवनि आदि ने आध्यात्मिक संत आचार्य विद्या सागर महाराज के जीवन चारित्र को बताते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला एवं आचार्य श्री को भारत रत्न से विभूषित करने की मांग उठायी। वक्ताओं ने विनयांजलि समर्पित करते हुए इसे सम्पूर्ण विश्व के लिये अपूर्णीय क्षति बताया एवं कहा जन-जन के संत आचार्य विद्यासागर के आदर्श प्रासंगिक एवं सभी के लिये प्रेरणा स्रोत हैं। नगर अध्यक्ष पुनीत सिंह परिहार ने कीर्ति स्तम्भ के पास आचार्य श्री के नाम से द्वार बनबाने एवं पूराकलां तिराहे को आचार्य श्री विद्यासागर तिराहा नाम देने की घोषणा की। अंत में अहिंसा सेवा संगठन के संस्थापक विशाल जैन पवा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न आचार्य श्री ने लोक कल्याण की भावना से राष्ट्र के नव निर्माण और देश के चतुर्मुखी विकास के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया है। उन्होंने देश को इण्डिया नहीं भारत बोलो का नारा एवं प्रतिभाओं का निर्यात न करने का संदेश दिया। त्याग की प्रतिमूर्ति आचार्य श्री की प्रेरणा से सम्पूर्ण देश में गौ सेवा के लिए अनेक दयोदय जैसी गौशालाएं, बालिका शिक्षा के लिए प्रतिभा स्थली, स्वाबलम्बन और स्वदेशी अपनाओ के लिए हथकारघा, शिक्षा के लिये गुरुकुल, स्वास्थ्य के लिये भाग्योदय और पूर्णायु जैसे चिकित्सालय एवं हिंदी भाषा उत्थान, भारतीय और श्रमण संस्कृति, तीर्थक्षेत्रों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये अनेक योजनाएं संचालित हो रहीं हैं। उन्होंने कहा आचार्य श्री ने अहिंसा मय विश्व की कल्पना की, जिसको साकार करने के लिए नगर को नशा मुक्त और हिंसा मुक्त करने के लिये प्रयास करना चाहिए। सभी ने महामुनिराज के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस मौके पर ऋषभ चौधरी, मिठया संत प्रसाद, कमल मोदी, सनत जैन, राजीव कुमार, यशपाल जैन, प्रकाश परिधान, राकेश मोदी, मेघराज जैन, प्रवीन कुमार, अरुण मोदी, अजय जैन अज्जू, सुधीर कुमार, रीतेश चौधरी, सजल मोदी, कपिल मिश्रा, संतोष गुप्ता, शैलेश जैन, आलोक चौधरी, अनुराग जैन, अरविन्द कुमार, विकास जैन, कपिल मोदी, हितेंद्र कुमार, प्रीतेश जैन, सौरभ पवैया, आदेश मोदी, आकाश चौधरी, सौरभ मोदी, रोहित जैन, नितिन बुखारिया, प्रिंस जैन, अचिन, अंकित, शनि, पियूष, सिद्धार्थ, अभिषेक, आशीष, आयुष, अमित, मुकुल, वैभव सहित सर्व समाज के सैकड़ों गणमान्य लोग मौजूद रहे। संचालन चौधरी चक्रेश जैन ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *