विलक्षण आध्यात्मिक यात्रा के पथिक थे आचार्य श्री विद्यासागर महामुनिराज
पहल टुडे
ललितपुर- राष्ट्रसंत आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महामुनिराज के समाधिस्थ होने पर श्री स्याद्वाद वर्धमान सेवा संघ नई बस्ती ने श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर नईबस्ती में विनयांजलि सभा का आयोजन किया। गया सभा का संचालन सत्येंद्र जैन गदयाना द्वारा किया गया विनयांजलि सभा के पूर्व जैन पंचायत समिति के पदाधिकारियों,स्वयंसेवी संस्था के पदाधिकारियों,विद्वानों आदि ने आचार्य श्रेष्ठ के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके विनयांजलि अर्पित की।इस मौके पर विनयांजलि सभा को संबोधित करते हुए जैन पंचायत समिति के अध्यक्ष डां अक्षय टडैया ने कहा कि आचार्य श्री के समाधिस्थ होने से सम्पूर्ण संसार दु:खित है।उनके आर्शीर्वाद से संचालित योजनाओं को हमें अनवरत जारी रखकर उन्हें पूर्ण करके आचार्यश्री के संदेशों को विश्व में फैलाना है। जैन पंचायत समिति के उपाध्यक्ष विजय जैन काफी हाऊस ने कहा कि आचार्यश्री के हम शिष्य हैं तो उनके त्याग व तपस्या को देखकर संकल्प लें,आचार्य श्री के जीवन आदर्शों को अपनायें। डॉ सुनील जैन संचय ने कहा कि बेमिशाल, अद्भुत विराट व्यक्तित्व एवं कृतित्व के धनी आचार्य श्री विद्यासागर महामुनिराज जैसे संत शताब्दियों में होते हैं। उनके जाने से जो शून्यता हुई है,उसकी भरपायी संभव नहीं है। वे स्वयं अपने आप में एक दर्शन थे। आलोक शास्त्री ने आचार्यश्री के कृतित्व को बताया।। राजेश जैन शास्त्री ने कहा कि आचार्य श्री अनियतविहारी थे।वह युगदृष्टा थे। जिन संत की समाधि से देश के प्रधानमंत्री की आंखों से अश्रुधारा आयी हो,ऐसे महान संत जनजन के संत थे।जिनका नाम युगों-युगों तक लिया जायेगा।शिक्षिका गरिमा जैन ने कहा कि मैंने विद्यालय के बच्चों को आचार्य श्री के जीवन वृत पर आधारित वीडियों दिखाये तो बच्चे भी फूट-फूट कर रोंने लगे।आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के जितेंद्र जैन राजू ने कहा कि मैं तो आचार्यश्री को इस युग का भगवान ही मानता हूं।मैंने भगवान महावीर स्वामी को नहीं देखा था।लेकिन उनके स्वरूप में आचार्य श्री को देखा है,ऐसे महान संत का अल्प समय में जाना सम्पूर्ण देश के लिए दु:खद समाचार है।
कवि पंकज जैन अंगार ने अपनी भावांजलि इन पंक्तियों को सुनाकर व्यक्त की- आंख के आंसू अर्घ्य बने हैं- छलिया बनकर समय सत्य के सारे मानक निगल गया है कौन पात्र यह क्षुदा मिटाने पूर्ण कथानक निगल गया है।