दारुल उलूम की तर्ज पर बनेगा सनातन वैदिक ज्ञानपीठ, 250 करोड़ का आएगा खर्च
दिल्ली-एनसीआर
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा ने सनातन वैदिक ज्ञानपीठ बनाने की घोषणा की। यहां दाखिला लेने वाले बच्चों को सिर्फ सनातन धर्म की शिक्षा-दीक्षा दी जाएगी। दावा है कि जैसे इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए दारुल उलूम देवबंद है, ठीक उसी तरह सनातन वैदिक ज्ञानपीठ होगी। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा जैसे मुसलमानों ने दारुल उलूम और मदरसे बनाए हैं, उसी तरह हम सनातन सिखाने वाला विश्वविद्यालय बनाएंगे। ये कब बनेगा, कहां बनेगा … ये सब चीजें बाद में तय की जाएंगी। अभी सिर्फ इसकी घोषणा हुई है। यह बातें गोविंदपुरम स्थित प्रीतम फार्म हाउस में चल रहे दो दिवसीय सनातन कॉन्क्लेव में कही। शनिवार को कार्यक्रम में यति नरसिंहानंद ने कहा कि इसके निर्माण पर मोटा बजट खर्च होगा। इसलिए संस्था के लिए दान देने की शुरुआत मैं खुद से कर रहा हूं। मेरे शुक्रताल और हरिद्वार में दो प्लॉट हैं। अगले एक सप्ताह में दोनों प्लॉट बेचकर विद्यापीठ निर्माण के लिए रुपए जमा कर दिए जाएंगे। डासना देवी मंदिर की तरफ से डॉ. उदिता त्यागी ने सवा-सवा लाख रुपए के दो चेक श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक को सौंपा। गाजियाबाद के ही अक्षित त्यागी ने 51 लाख रुपए चंदा देने की घोषणा की। इस तरह सभी सनातनियों के सहयोग से सनातन वैदिक ज्ञानपीठ का निर्माण होगा। इसके लिए भिक्षा यात्रा भी शुरू कर दी गई है।’ हिंदुओं के अवगुणों पर प्रहार कर धर्म की नींव मजबूत करेंगे’ महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा, ‘सौ करोड़ से ज्यादा सनातन धर्मी, विश्व की प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति है, लेकिन हमारे पास एक भी ऐसी संस्था नहीं है, जो समग्र में सनातन धर्म पढ़ाती हो। इसी कारण आज हमारे युवा दिग्भ्रमित हैं और वस्तुतः अपने और अपने परिवार सहित धर्म शत्रु बन जाते ।’ दारुल उलूम की तर्ज पर बनेगा सनातन वैदिक ज्ञानपीठ श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा ने सनातन वैदिक ज्ञानपीठ बनाने की घोषणा की। यहां दाखिला लेने वाले बच्चों को सिर्फ सनातन धर्म की शिक्षा-दीक्षा दी जाएगी। दावा है कि जैसे इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए दारुल उलूम देवबंद है, ठीक उसी तरह सनातन वैदिक ज्ञानपीठ होगी। अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि वैदिक विद्यापीठ निर्माण के लिए हमारे पास जगह की कोई कमी नहीं है। असम में 1200 बीघा जमीन पर काफी दिनों से विवाद चल रहा है। इस विवाद को सुलझाने के लिए हमारी असम के मुख्यमंत्री से बातचीत भी हो चुकी है। इसके अलावा कश्मीर, डोडा, ऊधमपुर आदि शहरों में काफी जमीनें हैं। हमें सिर्फ लोगों का मानसिक और शारीरिक योगदान चाहिए। जरूरत पड़ी, तब आर्थिक योगदान लेंगे। उन्होंने बताया कि इस पर कुल 250 करोड़ का खर्च आएगा।