दिल्ली की हवाओं में घुलने लगा है जहर, प्रदूषण ने बढ़ाई फेफड़ों की परेशानी, मरीजों में इजाफा

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दिल्ली की हवाओं में घुलने लगा है जहर, प्रदूषण ने बढ़ाई फेफड़ों की परेशानी, मरीजों में इजाफा

दिल्ली-एनसीआर
पिछले कुछ दिनों से फेफड़ों के अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या सामान्य की तुलना में 5 से 8 फीसदी तक बढ़ गए हैं, जो आने वाले कुछ सप्ताह में बढ़कर 20 फीसदी तक पहुंच जाएंगे। दिल्ली की फिजा में बढ़ते प्रदूषण ने अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), लंग्स के मरीज, बुजुर्ग, बच्चों की समस्या बढ़ा दी है। पिछले कुछ दिनों से फेफड़ों के अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या सामान्य की तुलना में 5 से 8 फीसदी तक बढ़ गए हैं, जो आने वाले कुछ सप्ताह में बढ़कर 20 फीसदी तक पहुंच जाएंगे। डॉक्टरों ने ऐसे लोगों को सुबह और शाम के समय खुली हवा में न घूमने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अक्तूबर के पहले सप्ताह में ही प्रदूषण का सूचकांक 200 को पार कर गया है। यदि गति इसी तरह रही तो सामान्य मरीजों को भी काफी परेशानी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद काफी लोगों के लंग्स में दिक्कत आई हैं। प्रदूषण इस समस्या को और गंभीर बना देता है। ऐसे में लंग्स को सुरक्षित रखने के लिए प्रदूषण से क्षेत्र से दूर रहना होगा। लंग केयर फाउंडेशन के डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि करीब दो साल पहले दिल्ली के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब एक हजार बच्चों पर अध्ययन किया था। इस अध्ययन में पाया गया कि करीब 28 फीसदी बच्चों को अस्थमा है। वहीं 88 फीसदी बच्चों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। बीते समय में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ समस्या भी बढ़ रही है। जो चिंता का विषय है। अध्ययन पर राजीव खुराना ने कहा कि सरकार को स्कूलों में ऐसे बच्चों के लिए व्यवस्था करने को कहा गया है। साथ ही सभी स्कूलों को ऐसे बच्चों की पहचान करने, उनके लिए अलग से आपात चिकित्सा की व्यवस्था करने की अपील की गई है। उनका कहना है कि फाउंडेशन एक बार फिर से बच्चों में लंग्स से जुड़े रोग का आंकड़े जुटाने की दिशा में काम कर रहा है। साथ ही सरकार बच्चों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन जारी करने के लिए सरकार को सिफारिश दी है। रखना होगा ध्यान वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट (वीपीसीआई), दिल्ली में निदेशक डॉ. राज कुमार ने कहा कि मौसम सर्द होने के साथ लंग्स की समस्या बढ़ जाती है। आने वाले दिनों में कोहरा पड़ेगा, जो सांस के मरीजों की परेशानी को बढ़ा देगा। ऐसे में सांस से जुड़े सभी रोगियों को अपने लंग्स का विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सुबह-शाम टहलने से बचें प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच डॉक्टरों ने विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। एम्स के पल्मोनरी विभाग के प्रमुख व प्रोफेसर डॉ अनंत मोहन ने कहा कि मौसम सर्द होने के साथ आबोहवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है। इसका असर हमारी छाती और सांस की नली पर सीधा पड़ता है। जिन लोगों को सांस की दिक्कत है वह सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचें। दोपहर के समय टहलने के लिए निकलें। प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का प्रयोग करें। यह नियम हो गए हैं लागू सड़कों का नियमित तौर पर पानी का छिड़काव। निर्माणाधीन स्थलों पर एंटी स्मॉग गन। निर्माणधीन स्थल व निर्माण सामग्री व उसको ले जाने वाले वाहनों को ढंकना अनिवार्य। आवाजाही सामान्य रखने के लिए ट्रैफिक पुलिस की जाम प्वाइंट पर तैनाती। जनरेटर चलाने पर बंदिश। खुले में कूड़ा जलाने की इजाजत नहीं। पीयूसी नियमों का सख्ती से पालन। रविवार तक खराब श्रेणी में बनी रहेगी हवा मौसम संबंधी पूर्वानुमान है कि दिल्ली का अगले कुछ दिनों में एक्यूआई खराब श्रेणी में रहेगा। रविवार तक राहत मिलने के आसार नहीं हैं। ऐसे में तत्काल प्रभाव से ग्रेप के पहले चरण को लागू किया है। बैठक में निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी) गतिविधियों में धूल शमन उपायों और सीएंडडी कचरे के ठोस पर्यावरण प्रबंधन पर दिशा-निर्देशों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने को कहा है। इन इलाकों में भी ज्यादा रहता है प्रदूषण द्वारका, अशोक विहार, बवाना, आनंद विहार, आईएसबीटी, यूपी रोडवेज टर्मिनल व पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र। एनसीआर में गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा रहा सबसे ज्यादा प्रदूषित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार शुक्रवार को एनसीआर में गुरुग्राम सबसे प्रदूषित रहा, यहां एक्यूआई 253 दर्ज किया गया। यह खराब श्रेणी में है। इसके बाद ग्रेटर नोएडा का 252, नोएडा में एक्यूआई 210, गाजियाबाद में 214 और फरीदाबाद में 205 दर्ज किया गया। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के अनुसार शुक्रवार को हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में रही। इस दौरान हवाओं का रुख पश्चिम दिशा की ओर रहा। वहीं, हवा की गति 8 से 12 किलोमीटर प्रतिघंटे से चली। इसी तरह हवा शनिवार और रविवार को भी खराब श्रेणी रहने का अनुमान है। इस दौरान हवा की गति 12 से 16 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी और आसमान साफ रहने की संभावना है। हालांकि, सुबह के वक्त हल्की धुंध नजर आ सकती है। आईआईटीएम के मुताबिक आने वाले छह दिनों में हवा इसी श्रेणी में रहने का अनुमान है। दिल्ली में बृहस्पतिवार को एक्यूआई 177, बुधवार को 176, मंगलवार को 155 व सोमवार को 146 दर्ज किया गया था। 200 से अधिक ‘एंटी-स्मॉग गन’ तैनात करने की तैयारी दिल्ली सरकार 9 अक्तूबर से शुरू होने जा रहे धूल रोधी अभियान के तहत 200 से अधिक ‘एंटी-स्मॉग गन’ तैनात करने की योजना बना रही है। इसी कड़ी में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने विभिन्न मंडल में ‘एंटी-स्मॉग गन’ किराये पर लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है। पिछले साल पीडब्ल्यूडी ने 150 एंटी-स्मॉग गन तैनात की थी। स्मॉग गन सभी कार्यदिवसों पर सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक तैनात की जाएंगी। उन्हें सीएनजी से चलने वाले बीएस-6 इंजन के ट्रक पर लगाया जाएगा और पानी के टैंकर की क्षमता 7000 लीटर होगी। वाहन के आगे और पीछे कैमरे व जीपीएस सिस्टम होगा। यह 50 मीटर की ऊंचाई तक पानी का छिड़काव करने में सक्षम होगा। ठेकेदार को नियमित आधार पर ‘एंटी-स्मॉग’ गन की आपूर्ति करनी होगी। आज से शुरू होगा धूल रोधी अभियान वायु प्रदूषण की रोक-थाम को लेकर सरकार सख्त है। दिल्ली सरकार विंटर एक्शन प्लान के तहत धूल प्रदूषण को रोकने के लिए आज से सात नवंबर तक एंटी डस्ट कैंपेन चलाएगी। इसकी निगरानी के लिए 13 विभागों की 591 टीमें तैनात की गई हैं। सीएंडडी पोर्टल पर 500 वर्ग मीटर से अधिक वाले सभी निर्माण साइट्स को खुद पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया गया है। सभी विभागों को सीएंडडी साइट्स का निरीक्षण करने और कंस्ट्रक्शन साइटों पर निर्माण संबंधी जारी 14 दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है। प के चरण-एक के लिए नागरिक चार्टर वाहनों के इंजनों को ठीक से ट्यून करके रखें। वाहनों के टायर में हवा पूरी रखें।वाहनों के पीयूसी प्रमाणपत्र लें। लाल बत्ती पर इंजन बंद कर दें। वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हाइब्रिड वाहनों या ईवी को प्राथमिकता दें।खुले स्थानों पर कूड़ा-कचरा न फैलाएं व निस्तारित न करें।त्योहारों को पर्यावरण-अनुकूल तरीके से मनाएं व पटाखों से बचें। 10-15 वर्ष पुराने डीजल-पेट्रोल वाहन न चलाएं। हॉट स्पॉट इलाकों में प्रदूषण अधिक होने की वजह रोहिणी : खुले में पड़ी है निर्माण सामग्री, अधिक ट्रैफिक रहता है। विवेक विहार : औद्योगिक प्रदूषण, सड़क किनारे खुले में पड़ रहता है कूड़ा-कचरा। आरके पुरम : बाहरी रिंग रोड पर भारी जाम की समस्या रहती है। निर्माण कार्य के चलते धूल प्रदूषण फैल रहा है। नरेला : मंडी में ट्रक खुले में लोडिंग व अनलोडिंग करते हैं, इससे जाम की समस्या उत्पन्न होती है। होलंबी कलां व शाहपुर गढ़ी गांव में खुले में लकड़ी जलाना व पत्तियां जलाना। वहीं, रामदेव चौक से बवाना क्रॉसिंग तक लगने वाला भारी जाम। पंजाबी बाग : रामलीला मैदान में धूल प्रदूषण। जगह-जगह से जर्जर सड़कें व गड्ढे फुटपाथ से निकलने वाली धूल। ओखला : मां आनंदयमई मार्ग, ओखला ई-स्टेट मार्ग और मथुरा रोड पर लगने वाला भारी जाम। कूड़ा लैंडफिल साइट और औद्योगिक इकाई। मुंडका : निर्माण सामग्री तैयार करने वाली इकाई। डीएमआरसी स्थलों पर कच्ची सड़कें। एनएच 10 पर गड्ढे व सड़क किनारे का कचरा। वजीरपुर : वजीरपुर में औद्योगिक इकाई से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण। अशोक विहार अंडर पास व शालिमार बाग मेट्रो स्टेशन और आजादपुर में भारी यातायात जाम की समस्या। जहांगीरपुरी : झुग्गी बस्तियों में खुले में जलने वाली लकड़ियों से होने वाले उत्पन्न होने वाला प्रदूषण। एनएच-44, जहांगीरपुरी व आजादपुर के पास भारी जाम की समस्या।

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