एक लिंक जो केजरीवाल को पहुंचा सकता है जेल, दांव पर हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप संयोजक
ईडी में तीन दशक से अधिक समय तक कार्यरत रहे पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सत्येंद्र सिंह बताते हैं, दिल्ली के कथित शराब घोटाले में सबूतों के आधार पर कार्रवाई हुई है। जांच एजेंसी, बिना सबूत के किसी पर हाथ नहीं डालती। जब किसी मामले की कड़ियां, आरोपी से जुड़ती हैं, तभी ईडी उससे पूछताछ करती है। अगर कुछ बरामद करना होता है, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। ईडी के पास आरोपी के खिलाफ उस मामले में शामिल होने के पुख्ता लिंक है, लेकिन वह पूछताछ में शामिल नहीं होता है, तो उस स्थिति में गिरफ्तारी ही एक विकल्प बचता है। अगर एक व्यक्ति ने जांच एजेंसी को बयान दे दिया है, और उसमें मुख्यमंत्री का नाम सामने आया है, तो उस ‘लिंक’ की सत्यता का पता लगाया जाता है। वह लिंक मुख्यमंत्री या उनके करीबियों के साथ पुख्ता तौर पर जुड़ता हुआ नजर आता है, तो सीएम केजरीवाल, जोखिम में फंस सकते हैं। वह लिंक किसी भी रूप में हो सकता हैईडी के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सत्येंद्र सिंह के मुताक, किसी भी केस की जांच में यह पता लगाया जाता है कि उसमें और कौन-कौन लोग शामिल हैं। उनके बीच किस तरह का लिंक है। क्या वह लिंक मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके करीबियों तक सीधा एवं स्पष्ट जुड़ रहा है। वह लिंक किसी भी रूप में हो सकता है। मतलब, टेलीफोनिक बातचीत, मैसेज का आदान-प्रदान, ईमेल या फेस टू फेस बातचीत, आदि शामिल है। अगर ऐसा कोई पुख्ता लिंक मिलता है, तो जांच एजेंसी, मुख्यमंत्री तक आसानी से पहुंच सकती है। इसके बाद मुख्यमंत्री को समन भेजा सकता है। अगर जांच एजेंसी को लगता है कि केस से जुड़े कुछ जरुरी दस्तावेज जुटाने हैं, तो रेड भी डाली जा सकती है। अगर सर्च होती है तो उसके बाद बयान लिया जाता है। जांच एजेंसी की सारा कार्रवाई, सबूतों के आधार पर निर्भर करती है। किसी व्यक्ति को पूछताछ में शामिल होने के लिए कितने समन जारी हो सकते हैं, इस बाबत कोई हार्ड एंड फास्ट रूल नहीं है। ये एजेंसी की इच्छा पर निर्भर करता है कि किसे कितने समन जारी किए जाएं।