कोर्ट ने कहा- आर्थिक लाभ और आजीविका के लिए संगठित अपराध करते थे दोषी

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कोर्ट ने कहा- आर्थिक लाभ और आजीविका के लिए संगठित अपराध करते थे दोषी

दिल्ली-एनसीआर
साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडे ने 261 पेज के फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा यह विधिवत साबित किया गया है कि आरोपी अपनी आजीविका के लिए संगठित अपराध की आय पर निर्भर थे। अदालत ने माना कि दोषी अजय सेठी, रवि कपूर के नेतृत्व में संगठित अपराध सिंडिकेट से सह अभियुक्तों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराता था। वे केवल आर्थिक लाभ के लिए और संगठित अपराध की आय से अपनी आजीविका चलाते थे। आरोपी अपनी आय के साधन को खुलासा करने में असफल रहे। साक्ष्यों से यह साबित होता है कि दोषियों ने सौम्या विश्वनाथन की गोली मारकर हत्या कर दी थी। साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडे ने 261 पेज के फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा यह विधिवत साबित किया गया है कि आरोपी अपनी आजीविका के लिए संगठित अपराध की आय पर निर्भर थे और उन्होंने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया कि उनके पास अपनी आजीविका के लिए कोई अन्य आर्थिक स्रोत था। अदालत ने कहा, आरोपी रवि कपूर के नेतृत्व में इसके सदस्य अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी विभिन्न प्रकृति की विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल थे। उनका संगठित अपराध सिंडिकेट है। उनके खिलाफ सौम्या व जिगिषा हत्याकांड का ही मामला नहीं है बल्कि राजधानी के अलावा नोएडा के थानों में विभिन्न मामले दर्ज है। अदालत ने कहा एफआईआर संख्या 69/2009 थाना वसंत विहार और एफआईआर संख्या 63/2009 थाना दिल्ली कैंट की घटना संगठित अपराध थी, जैसा कि आरोपी रवि कपूर द्वारा स्वयं के साथ-साथ उसके संगठित अपराध सिंडिकेट के अन्य सदस्यों द्वारा संचालित संगठित अपराध सिंडिकेट द्वारा किया गया था। अदालत ने कहा परिस्थितिजन्य साक्ष्य की स्वीकार्यता के कानूनी सिद्धांत मामले के कानून में अच्छी तरह से तय किए गए हैं। अभियोजन पक्ष ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य, वैज्ञानिक साक्ष्य और चश्मदीद गवाहों को पेश करके आरोपियों का अपराध विधिवत साबित कर दिया है। गवाहों ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार उर्फ अजय, बलजीत सिंह मलिक उर्फ पोपी की पहचान की है, जो कि इकबालिया बयान की पुष्टि करते हैं। हत्या में इस्तेमाल हथियार से खुला मामला बलजीत मलिक और दो अन्य रवि कपूर और अमित शुक्ला को पहले 2009 में आईटी पेशेवर जिगिषा घोष की हत्या में दोषी ठहराया गया था। पुलिस ने बताया कि जिगिशा घोष की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी से विश्वनाथन की हत्या का मामला सुलझ गया था। ट्रायल कोर्ट ने 2017 में जिगिशा घोष हत्या मामले में कपूर और शुक्ला को मौत की सजा और मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, अगले वर्ष, हाईकोर्ट ने कपूर और शुक्ला की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था और मलिक की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था।

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