प्रतिबंध का शोर पर एकल यूज प्लास्टिक पर नहीं चल रहा किसी का जोर, दिल्ली में उल्लंघन के 88 फीसदी मामले

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प्रतिबंध का शोर पर एकल यूज प्लास्टिक पर नहीं चल रहा किसी का जोर, दिल्ली में उल्लंघन के 88 फीसदी मामले

दिल्ली-एनसीआर
एसयूपी के प्रतिबंध के एक साल बाद टॉक्सिक लिंक द्वारा ‘भारत में एसयूपी प्रतिबंधः इसकी सफलता का मूल्यांकन’ शीर्षक से अध्ययन किया गया। इसमें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, गुवाहाटी और ग्वालियर में प्रतिबंधित एकल यूज प्लास्टिक उत्पादों का व्यापक उपयोग देखा गया। इसमें उल्लंघन के सर्वाधिक 88 फीसदी मामले दिल्ली में पाए गए। राजधानी में एकल उपयोग प्लास्टिक (एसयूपी) प्रतिबंधित होने के बावजूद बाजारों में धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। सर्दियों के मौसम में होने वाले वायु प्रदूषण में पराली के साथ एसयूपी की भी हिस्सेदारी है। एसयूपी के प्रतिबंध के एक साल बाद टॉक्सिक लिंक द्वारा ‘भारत में एसयूपी प्रतिबंधः इसकी सफलता का मूल्यांकन’ शीर्षक से अध्ययन किया गया। इसमें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, गुवाहाटी और ग्वालियर में प्रतिबंधित एकल यूज प्लास्टिक उत्पादों का व्यापक उपयोग देखा गया। इसमें उल्लंघन के सर्वाधिक 88 फीसदी मामले दिल्ली में पाए गए। सर्वेयरों का कहना है कि विशेष रूप से स्थानीय दुकानों और बाजारों में किए गए एक अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि देश में प्रतिबंध से जुड़े नियम लागू होने में बड़े पैमाने पर खामियां हैं। इस वजह से इन्हें लागू करने में दिक्कतें आ रही हैं। अध्ययन से पता चला है कि प्लास्टिक स्टिरर और प्लास्टिक आइस क्रीम स्टिक को छोड़कर सभी प्रतिबंधित एसयूपी सर्वेक्षण में शामिल सभी शहरों में उपयोग किए जा रहे थे। कैरी बैग (120 माइक्रोन से कम) शहरों में सबसे अधिक उपलब्ध प्रतिबंधित वस्तु हैं। बता दें पिछले साल एक जुलाई को एसयूपी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसकी सच्चाई का पता लगाने के लिए मार्च से जून 2023 तक देश के पांच शहरों में किए गए विस्तृत सर्वेक्षण में 23 अलग-अलग प्रकार के स्थानों में 700 सर्वेक्षण बिंदुओं का विश्लेषण किया गया है। प्रतिबंधित कैरी बैग दे रहे दुकानदार अध्ययन रिपोर्ट है कि दिल्ली में थोक और साप्ताहिक, मिठाई की दुकानों, बस डिपो और चाट की दुकानों सहित सब्जी की दुकानें और बाजार ग्राहकों को प्रतिबंधित प्लास्टिक कैरी बैग दे रहे हैं। पर्यटन स्थलों और छोटे रेस्तरां सहित अन्य स्थानों पर भी प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग बहुत अधिक था। प्लास्टिक से बने डिस्पोजेबल कप, स्ट्रॉ और प्लेट क्रमशः 54%, 45% और 43% पर उपलब्ध हैं, जो उच्च मात्रा में उपयोग का संकेत देते हैं। एसयूपी का इस्तेमाल बेंगलुरु में सबसे कम अहम बात यह है कि सर्वेक्षण में बेंगलुरु में एसयूपी का उपयोग सबसे कम रहा। सर्वेक्षण में शामिल 55 प्रतिशत जगहों पर अब भी प्रतिबंधित एसयूपी का उपयोग कर रहे थे। प्रतिबंध के महीनों बाद भी सभी पांच शहरों में सर्वेक्षण बिंदुओं के इतने उच्च प्रतिशत में एसयूपी की निरंतर उपलब्धता गंभीर चिंताओं का संकेत देती है। दिल्ली में सबसे अधिक उल्लंघन सर्वे में शामिल 64 प्रतिशत जगहों पर अभी भी एसयूपी का उपयोग हो रहा है। इसके विकल्पों की उपलब्धता के बावजूद, थर्मोकोल सजावट 74 प्रतिशत, गुब्बारे में 60 प्रतिशत और प्लास्टिक स्टिक में इयर बड्स 60 प्रतिशत सहित अन्य उत्पादों की बिक्री अभी भी जारी है। सबसे कम अनुपालन प्रतिशत दिल्ली में 88 प्रतिशत, ग्वालियर 84 प्रतिशत, मुंबई में 71 प्रतिशत और गुवाहाटी 77 प्रतिशत दर्ज किया गया। मॉल और मेट्रो स्टेशन पर हो रहा अनुपालन मॉल और मेट्रो स्टेशन पर प्रतिबंध का अच्छे से पालन किया जा रहा है। अध्ययन में पता चला है कि शॉपिंग बाजार, साप्ताहिक बाजार और थोक बाजारों में यह प्रतिबंध पूरी तरह से लागू करने में बहुत खामियां रही हैं। रेलवे प्लेटफार्मों, बस डिपो और पर्यटन स्थलों पर प्लास्टिक कैरी बैग का अक्सर उपयोग किया जाता है। तिबंधित एसयूपी का खुले में उपयोग और वितरण चौंकाने वाला है। इसे ई-कॉमर्स साइटों पर भी बेचा जा रहा है। बाजार में प्लास्टिक के विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि विकल्प को व्यापक रूप से अपनाने से पहले उनका मूल्यांकन करने के लिए जीवनचक्र दृष्टिकोण अपनाया जाए। -प्रीति बंथिया महेश, मुख्य कार्यक्रम समन्वयक, टॉक्सिक लिंक

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