सर्वर की खराबी से दिल्ली में प्रदूषण-पत्र के लिए मारामारी, बढ़ गया इंतजार, वाहनों की लंबी कतार

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सर्वर की खराबी से दिल्ली में प्रदूषण-पत्र के लिए मारामारी, बढ़ गया इंतजार, वाहनों की लंबी कतार

दिल्ली-एनसीआर
ऐसे में सर्वर न चलने से वाहन चालकों को जांच कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इससे एक वाहन की जांच में आधे घंटे से ज्यादा समय लग रहा है। वहीं, जांच केंद्रों में दोपहिया वाहन चालकों की संख्या अधिक है। जांच केंद्रों में कई ऐसे वाहन भी आ रहे हैं, जिन्होंने लंबे समय से पीयूसी नहीं कराया है।राजधानी में सर्दी के मौसम में होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर कवायद तेज हो गई है। प्रदूषण को लेकर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू है। ऐसे में वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए परिवहन विभाग सख्त है, जिससे पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) केंद्रों में जांच कराने वाले वाहन चालकों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में सर्वर न चलने से वाहन चालकों को जांच कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इससे एक वाहन की जांच में आधे घंटे से ज्यादा समय लग रहा है। वहीं, जांच केंद्रों में दोपहिया वाहन चालकों की संख्या अधिक है। जांच केंद्रों में कई ऐसे वाहन भी आ रहे हैं, जिन्होंने लंबे समय से पीयूसी नहीं कराया है। पीयूसी की जांच के लिए टीमें तैनात परिवहन विभाग ने पीयूसी जांच करने के लिए 385 टीमों का गठन किया है। इसमें बाइक पैट्रोलिंग टीमें भी तैनात रहेंगी। यह टीमें पेट्रोल पंप पर वाहनों के पीयूसी का औचक निरीक्षण भी करेंगी। इनमें से कुछ टीमें अलग-अलग पेट्रोल पंप पर जाएंगी। परिवहन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, अभी बाइक पैट्रोलिंग टीमों की 30 संख्या तय की गई हैं। एक वाहन की जांच में 30 से 40 मिनट लग रहे पीयूसी केंद्रों के संचालकों का कहना है कि कई बार सर्वर बहुत धीरे हो जाता है। इससे एक वाहन की जांच करने के लिए 30 से 40 मिनट लग रहे हैं। बहादुरशाह जफर मार्ग पर स्थित पीयूसी केंद्र के संचालक महेंद्र ने बताया कि सुबह व शाम को सर्वर में दिक्कत आ रही है। यह वह समय होता है जब चालक अधिक पीयूसी कराने आते हैं। उन्होंने बताया कि बीते एक सप्ताह से वाहनों की संख्या बढ़ गई है। 38 लाख से अधिक पीयूसी प्रमाणपत्र जारी परिवहन विभाग के मुताबिक, मौजूदा समय में 943 पीयूसी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। परिवहन विभाग एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक दिल्ली में पांच अक्तूबर तक 38 लाख से अधिक पीयूसी प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। बता दें कि वर्ष 2022 में 50 लाख से अधिक पीयूसी प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। सर्दियों में वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए पीयूसी करवाना अनिवार्य किया गया है। वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को लेकर काफी सख्ती बरती जा रही है। पीयूसी की दर बढ़ाने की मांग पीयूसी संचालक दर बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। केंद्रों के संचालकों का कहना है कि वर्ष 2011 से पीयूसी की आखिरी बार जांच दर बढ़ाई गई थी। ऐसे में महंगाई बढ़ रही है, इसमें आने वाला खर्च भी बढ़ रहा है। बाबा खड़क सिंह मार्ग पर स्थित पीयूसी संचालक प्रदीप ने कहा कि इतना लंबा समय हो गया है, लेकिन पीयूसी की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं। वह कहते हैं कि सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। मौजूदा समय में दोपहिया वाहन की प्रदूषण जांच के लिए 60 रुपये, पेट्रोल चालित चारपहिया वाहन के लिए 80 रुपये और डीजल वाहन के लिए 100 रुपये देने होते हैं। इसके अलावा अलग से 18 प्रतिशत जीएसटी देना होता है। 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान पीयूसी वाहन की जांच के बाद दिया जाने वाला प्रमाणपत्र है। मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार वैध पीयूसी प्रमाणपत्र के बिना पकड़े जाने पर वाहन मालिकों को छह महीने तक की जेल या 10 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के अनुसार प्रत्येक मोटर वाहन, जिसमें बीएस-एक, दो, तीन, चार के अनुरूप और सीएनजी व एलपीजी से चलने वाले वाहन शामिल हैं। इनके रजिस्ट्रेशन की तारीख से एक साल की अवधि समाप्त होने के बाद एक वैध पीयूसी प्रमाण पत्र ले जाना आवश्यक है। बीएस-6 वाहनों की वर्ष में एक बार और बीएस-4 वाहनों की हर छह माह में एक बार प्रदूषण जांच करानी होती है।

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