मुखर्जी नगर पीजी : अंधेरी गलियां, व्यवस्थाएं नाकाफी फिर भी मजबूरी में रह रहे विद्यार्थी, एक पड़ताल…
दिल्ली
इन पीजी का किराया भारी-भरकम होता है, लेकिन सुविधाएं नगण्य रहती हैं। मुखर्जी नगर स्थित पीजी में बुधवार रात लगी आग के बाद सुविधाओं की पोल भी खुल गई। पढ़-लिखकर एक अच्छी जिंदगी हासिल करने का सपना लेकर दिल्ली आए छात्र पेइंग गेस्ट (पीजी) में सुविधाएं नहीं मिलने से परेशान हैं। इन पीजी का किराया भारी-भरकम होता है, लेकिन सुविधाएं नगण्य रहती हैं। मुखर्जी नगर स्थित पीजी में बुधवार रात लगी आग के बाद सुविधाओं की पोल भी खुल गई। इससे पहले भी यहां एक संस्थान में आग लगने से सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए थे। छात्र कहते हैं कि पीजी संचालक उनसे पहले ही तीन से छह महीने दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो पीजी के लिए कोई नियम नहीं हैं, लेकिन भवन कॉमर्शियल के तौर पर इस्तेमाल होने पर फायर की एनओसी, 18 मीटर से चौड़ी सड़क और नक्शा पास होना चाहिए। सूत्रों की मानें तो मुखर्जी नगर में चल रहे अधिकतर पीजी पहले सामान्य घर थे, लेकिन मांग बढ़ने के बाद यह पीजी में तब्दील हो गए। इनमें से अधिकतर के पास फायर एनओसी नहीं हैं। ज्यादातर सड़कें संकरी हैं जिसमें आग लगने पर बचाव के प्रयास भी मुश्किल हो जाते हैं। छात्रों की मानें तो दिल्ली में चल रहे ऐसे हजारों पीजी में छात्र रहते हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा को लेकर सख्ती से कानून लागू करने चाहिए। इन जगहों पर भयानक है स्थिति मुखर्जी नगर, नेहरू विहार, गांधी विहार, हकीकत नगर, कमला नगर, मुनिरका गांव, लाजपत नगर, लक्ष्मी नगर, निर्माण विहार समेत विभिन्न इलाकों में अवैध रूप से पीजी संचालित हो रहे हैं। कई इलाकों में तो संकरी गलियों में पीजी चल रहे हैं। लक्ष्मी नगर में इसी तरह का माहौल देखने को मिला। जहां कई गलियों में सूरज की रोशनी तक नहीं पहुंच रही है, उसके बावजूद इन अंधेरी भरी गलियों में छात्र रहने को मजबूर हैं। यहां न कोई वेंटिलेशन की व्यवस्था है और न ही आपात स्थित में निकलने के लिए कोई जगह। इसी तरह का हाल ओल्ड राजेंद्र नगर में भी देखने को मिला। यहां कई गलियों में दमकल वाहन तक नहीं पहुंच सकते हैं। छात्रों का कहना है कि संचालक उनसे पहले ही तीन से छह महीने का एडवांस ले लेते हैं। पैसे फंसने के कारण यहां रहना पड़ता है। पीजी का सर्वेक्षण करेगा एमसीडी दिल्ली नगर निगम ने जोनल बिल्डिंग विभाग को सिविल लाइंस जोन में चल रहे सभी पीजी का सर्वेक्षण करने के निर्देश जारी किए हैं। अधिकारियों का कहना है कि शुक्रवार से पूरे क्षेत्र में देखा जाएगा कि किन घरों में पीजी चल रहे हैं। जहां पीजी चल रहे हैं, क्या वहां सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम हैं या नहीं। यदि बिना सुरक्षा नियमों के चल रहे हैं तो नोटिस भेजा जाएगा। मुखर्जी नगर में रहने वाले छात्रों से बातचीत मैं बीते दो वर्ष से सिविल परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं। मेरे देखते ही देखते यहां कुछ माह में ही इस तरह की दो घटनाएं घट चुकी हैं। मुझे अब यहां रहने में डर लगने लगा है। मैं जल्द से जल्द कहीं ओर जाने की तैयारी कर रहा हूं।-विपुल, अभ्यर्थी, बिहार पीजी संचालक एक ही कमरे में कई छात्राओं को रखते हैं। मैं जिस पीजी में रहती हूं वह एक बड़ा सा कमरा है, जिसे दो भाग में एक लकड़ी की दीवार से विभाजित किया गया है। इसमें आठ से 10 छात्राएं रहती हैं। अगर कभी कोई अप्रिय घटना होती है तो यहां से निकल पाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि यहां आने-जाने के लिए एक ही रास्ता है। -निशिका, छात्रा, डीयू मैं उस हादसे के वक्त सामने वाले पीजी में ही थी। वहां से काफी चीख-पुकार की आवाजें आ रही थीं। उस भयावह मंजर को भूल पाना मुश्किल है। मेरे पीजी संचालक ने जल्द ही पीजी खाली करने के लिए कहा है। ऐसे में अब मैं कहां जाऊं, मुझे समझ नहीं आ रहा है। मैं तीन माह का एडवांस दे चुकी हूं। -पूनम मिश्रा, अभ्यर्थी, प्रयागराज यहां एक बेड के लिए 14 से 16 हजार रुपये चुकाने होते हैं। उसके बावजूद न यहां रहने की अच्छी व्यवस्था है और न ही सुरक्षा के इंतजाम। तारों का जाल बालकनी के सामने ही है। वहां खड़े होने में भी डर लगता है। इन पीजी संचालकों को सिर्फ रुपयों से मतलब है। इन पर लापरवाही को लेकर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। -राहुल, छात्र, डीयू