14 अलग भाषाओं में रामधुन पर भजन बनाई वाराणसी की सरोज मिश्रा
वाराणसी/नोएडा। बनारस की रहने वाली सरोज मिश्रा ने राम मंदिर के शिलान्यास वाले दिन प्रण लिया था कि वो रोज एक राम धुन या राम भजन खुद लिखेंगी और इसे गाएंगी भी. बस उस दिन से मिश्रा ने गाने भजन लिखने का ऐसा सिलसिला शुरू किया जो अब तक जारी है उन्होंने अब तक 1,248 भजन लिखे हैं और खास बात है वो बखूबी हर भजन को अपनी आवाज भी देती हैं.नोएडा में रह रही सरोज मिश्रा ने अपने घर में एक म्यूजिक स्टूडियो बनाया हुआ है, जिसमें हारमोनियम और तानपुरा पर वो रोजाना अपने लिखे हुए गाने को म्यूजिक देती हैं. 1248 गाने लिखते हुए उन्हें लंबा वक्त बीत गया है. कई डायरी और पन्ने भर चुके हैं लेकिन वो कहती हैं उनका मन नहीं भरा उन्हें रोजाना राम जी प्रेरणा देते हैंसरोज यूं तो बचपन से गाना गाती हैं लेकिन वो बताती हैं राम मंदिर और प्रभु राम से उनका नाता पुराना है क्योंकि शिलान्यास वाले दिन उन्हें खुद ये लगा कि भगवान राम ने उन्हें प्रेरणा दी कि वो भजन लिखना शुरू कर दें और उन्होंने ये काम शुरू भी कर दिया. उन्होंने राम धुन लिखने के पीछे प्रेरणा अपने परिवार को बताया और कहा की हर घड़ी उनके पति और बच्चों ने उनका साथ दिया है.अपने कठिन प्रण के बारे में बताते हुए सरोज मिश्रा ने कहा कि प्रभु राम के भजन गाना और उन्हें लिखना उनके लिए एक उपलब्धि है. ये एक ऐसी प्रेरणा थी जिसकी वजह से वह रोज राम धुन लिख पाती हैं. सरोज ने अब तक कई गाने गाए हैं और इन गानों में जो सबसे खास है वह है 14 भाषा में गाया हुआ उनका रामधुन है.दरअसल राम भारत के कण-कण में बसे हैं राम सबके मन में बसे हैं. इस ख्याल के साथ ही उन्होंने 14 अलग भाषाओं में एक रामधुन बनाई है. इसकी खासियत यह है कि इसमें पंजाब से लेकर दक्षिण भारत की भाषाएं और गुजरात से लेकर बंगाल की भाषाएं समाहित हैं. यानी 14 अलग-अलग भाषाओं में प्रभु राम का गुणगान सरोज ने अपनी आवाज और कलम से किया है. इतना ही नहीं मंदिर के उद्घाटन के लिए उन्होंने एक खास एल्बम तैयार किया है जिसमें राम चरित मानस को संक्षिप्त तरीके से गाने और अभिनय भरे नृत्य के साथ तैयार किया गया है.मंदिर के शिलान्यास से लेकर अब तक सरोज की लिखने का और गाने का सिलसिला जारी है, उनके इस कठिन प्रण को देखते हुए खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे मुलाकात की. सरोज बताती है कि प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात भी बेहद खास रही थी क्योंकि उनकी यह शुरू से इच्छा थी कि वह प्रधानमंत्री से मुलाकात करें और जब उनकी इच्छा पूरी हुई तो उन्हें ये समझ आया कि प्रधानमंत्री मोदी का ऐसा व्यक्तित्व है जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है और वो खुद भगवान जैसे हैं.