बिना जरूरत मशीनें खरीदकर अनुदान की रकम को ठिकाने लगाया जा रहा : मेयर

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बिना जरूरत मशीनें खरीदकर अनुदान की रकम को ठिकाने लगाया जा रहा : मेयर

गाजियाबाद। महापौर सुनीता दयाल ने बुधवार को एक बार फिर निगम अधिकारियों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि नगर निगम में सरकारी अनुदान की रकम को ठिकाने लगाने के लिए बिना जरूरत मशीनें खरीदी जा रही हैं। सड़कों के गड्ढे भरने के लिए 90 लाख रुपये की मशीन खरीदी, जबकि कानपुर में यह मशीन 55 लाख रुपये में खरीदी गई है। इस मशीन का शहर में उपयोग नहीं हो रहा है। इसके अलावा रोड स्वीपिंग मशीन लंबे समय से कविनगर थाने में खड़ी हैं। घरों से कूड़ा कलेक्शन करने के लिए खरीदी गईं ई-रिक्शा विजयनगर जोनल कार्यालय परिसर में खड़ी-खड़ी कबाड़ हो गई हैं। महापौर का कहना है कि वह मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुदान की रकम की बर्बादी की हकीकत बताएंगी। इससे पहले महापौर सुनीता दयाल ने चार सितंबर को नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक को पत्र भेजकर नगर निगम के कॉल सेंटर के संचालन के नाम पर घोटाले के आरोप लगाए थे। महापौर बुधवार को नगर निगम कार्यालय में पत्रकारों से रूबरू हुईं। उन्होंने बताया कि मंगलवार को उन्होंने कविनगर थाने में जब्त रोड स्वीपिंग मशीन को मौके पर जाकर देखा। करीब एक करोड़ की इस मशीन को छुड़ाने के लिए निगम अफसरों ने कोई प्रयास नहीं किया। गड्ढे भरने के लिए 90 लाख रुपये में खरीदी गईं मशीन से 90 गड्ढे भी नहीं भरे गए। इसके सुबूत उनके पास मौजूद हैं। नगर निगम सदन ने इसे खरीदने से मना कर दिया था लेकिन अधिकारियों ने 15वें वित्त आयोग की धनराशि से यह मशीन बिना जरूरत के खरीद ली। महापौर का आरोप है कि मशीन होने के बावजूद नगर निगम के अधिकारी टेंडर निकालकर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए उनसे गड्ढे भरवाने का काम करा रहे हैं। पुराने वाहनों को इस्तेमाल में नहीं लिया जा रहा है, उन्हें गैराज में खड़ा कर दिया गया है। वह खड़े-खड़े कबाड़ बन रही हैं। महापौर ने कहा कि नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने घरों से कूड़ा कलेक्शन करने के लिए ई-रिक्शा खरीदी थीं, लेकिन विजयनगर जोन कार्यालय परिसर में कई ई-रिक्शा बिना इस्तेमाल किए खड़े-खड़े कबाड़ बन गई हैं। इनकी बैटरियां चोरी हो गई हैं। इनके अलावा कई ट्रैक्टर अलग-अलग थानों में खड़े हैं। अधिकारी फाइल नहीं देते महापौर सुनीता दयाल ने अपने ही अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी उन्हें मांगने पर भी मसलों की सही जानकारी नहीं देते हैं। फाइल मांगने पर या तो दी नहीं जाती है और अगर दी जाती है तो उसमें से कुछ पेपर निकाल लिए जाते हैं। इसके सुबूत भी उनके पास हैं। यह भी लगाए आरोप- निगम की सीमा में स्थित बल्क वेस्ट जनरेटरों को कूड़े का निस्तारण खुद करना होता है, लेकिन नहीं कर रहे हैं। अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। – नगर निगम ने औद्योगिक क्षेत्र में भी कूड़ा उठाने का काम अवैध रूप से फर्म को दिया हुआ है। जबकि निगम को यहां से यूजर चार्ज नहीं मिल रहा। – नगर निगम को हस्तांतरित न होने पर भी कई कॉलोनियों के कूड़े का निस्तारण निगम अधिकारी करा रहे हैं। निगम को आर्थिक नुकसान हो रहा है। – मियाद पूरी कर चुके वाहनों को अधिकारी नीलाम नहीं कराते, इससे निगम को हानि हो रही है। सस्ती दर पर खरीदी गई है मशीन नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक का कहना है कि गड्ढे भरने की मशीन सबसे सस्ती दर पर गाजियाबाद नगर निगम ने खरीदी है। इसका इस्तेमाल गड्ढे भरने में किया जा रहा है। बरसात के दिनों में सड़कें ज्यादा टूट जाने के कारण टेंडर जारी कर ठेकेदारों से पैच वर्क कराया जाता है। महापौर की ओर से विभागाध्यक्षों से जो भी फाइलें मांगी गई हैं, वह सभी उनके पास पूरे दस्तावेजों के साथ भेजी गई हैं। अगर वह मेरे माध्यम से पत्रावलियां मांगेंगी तो मैं सुनिश्चित करूंगा कि फाइलें समय पर उनके पास पहुंचे।
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