सुहागिनों ने वट व्रक्ष की पूजा के साथ पति की लंबी उम्र की कामना की
रसूलाबाद कानपुर देहात । कहते हैं जिस दिन सावित्री के पति को जीवनदान मिला था उस दिन ज्येष्ठ महीने की अमावस्या थी। साथ ही सावित्री के पति को उसके प्राण बरगद के पेड़ के नीचे प्राप्त हुए थे। इसी वजह से इस अमावस्या को बरगदाई अमावस्या के नाम से जाना जाने लगा। बर गदाई अमावश्या का त्यौहार पारस्परिक रूप से पूरी श्रद्धा के साथ मनाया गया सुहागिनों ने परंपरा के अनुसार बरगद वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना की त्यौहार के विशेष मौके पर आज बरगद वृक्षों पर पूजा करने विवाहित महिलाओं का तांता सुबह से लगना प्रारंभ हो गया था पौराणिक कथाओं के अनुसार बट सावित्री व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक पर्व है यह व्रत मुख्य रूप से भारत के उत्तर पश्चिम और मध्य भागों में मनाया जाता है।ब्लॉक रसूलाबाद के ग्राम नारखुर्द, नार खास, भवनपुर, भारामऊ, कठारा, मिंडा कुआं, साहित समूचे जनपद में सुहागिनों ने बड़े धूमधाम से पूजा अर्चना की बहुत से लोगों का मानना है कि इस व्रत का महत्व करवा चौथ के व्रत जितना होता है पूजा के दौरान बरगद के पेड़ के नीचे कथा सुनी।आपको बताते चलें कि ग्राम नारखुर्द में बना हन्नुबाबा का देव स्थल है जहां पर क्षेत्रीय लोगों का मानना है कि लोग मन्नत के रूप में झंडा, घण्टा, जबारे बोते है और सांग लगवाकर दंडवत करते हुए बाबा की परिक्रमा करते है जिससे लोगों द्वारा मानी हुई मन्नत पुरी होती है इस बार वर गदाई अमावस्या के दिन अनूठा करतब दिखा कि अपनी अपनी मान्यता और मन्नत के अनुसार आधा सैकड़ा भक्तो ने सांग/बाना लगवाकर दंडवत कर रहे थे तभी वहीं 7 वर्ष का नौनिहाल आयुष चौबे पुत्र अखिलेश चौबे ने अपने गाल में सांग लगवाकर दंडवत करते हुए बाबा की परिक्रमा पूरी कर मन्नात को पूरा किया और सभी के जबारे चढ़ाये गए जिसके बाद मेला में आसमानी झूला, जम्पिंग झूला, घोड़ेवाला झूला सहित महिलाओ की सजा सज्जा के समान की दुकानें और बच्चों के खिलौने आदि खाने की दुकानें व आइसक्रीम की भी दुकानें लगाई गई थी वहीं रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम धनुष भंग एवं परशुराम संवाद में विश्व विख्यात कलाकारों से कार्यक्रम बिगत वर्ष की भांति सम्पन्न हुआ। यह मेला प्रतिवर्ष दो दिन लगता है। यह मेला हनुबाबा कमेटी द्वारा संचालित किया गया ।