उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति व मुख्यमंत्री के द्वारा 680 करोड़ से बने नवनिर्मित बिल्डिंग का फीता काटकर किया गया उद्घाटन
प्रयागराज।उच्चतम न्यायालय के मुख्यन्यायमूर्ति न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ शनिवार को उच्च न्यायालय इलाहाबाद में नवनिर्मित मल्टीलेवल पार्किंग एवं अधिवक्ता चेम्बर हेतु नवनिर्मित बिल्डिंग का फीता काटकर एवं शिलापट्टिका का रिमोट से बटन दबाकर अनावरण कर उद्घाटन किया एवं भूतल पर ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया हाईकोर्ट ब्रांच व पोस्ट आफिस इलाहाबाद हाईकोर्ट का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर मल्टीपर्पज हॉल में आयोजित कार्यक्रम में माननीय उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई मुख्य अतिथि एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत न्यायमूर्ति विक्रमनाथ न्यायमूर्ति जे0 के0 माहेश्वरी न्यायमूर्ति पंकज मित्तल न्यायमूर्ति मनोज मिश्र केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की गरिमामयी उपस्थिति रही। मुख्य न्यायमूर्ति मुख्यमंत्री एवं अन्य न्यायमूर्तिगणों के द्वारा दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।इसके पूर्व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति मुख्यमंत्री एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्तिगणों के द्वारा मल्टीलेवल पार्किंग एवं अधिवक्ता चेम्बर हेतु नवनिर्मित बिल्डिंग का भ्रमण कर पार्किंग स्थल व अधिवक्ता चेम्बर का निरीक्षण किया गया।कार्यक्रम में मल्टीलेवल पार्किंग एवं अधिवक्ता चेम्बर हेतु नवनिर्मित बिल्डिंग में उपलब्ध सुविधाओं एवं व्यवस्थाओं के बारे में विजन डाक्यूमेंट के माध्यम से उपस्थित लोगो को अवगत कराया गया।भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई(जस्टिस बीआर गवई)ने कहा कि न्यायपालिका हो या कार्यपालिका देश के अंतिम नागरिक तक न्याय पहुंचाना हमारा मौलिक कर्तव्य है। संविधान के 75 वर्षों के कालखंड में न्यायपालिका और कार्यपालिका ने ऐसे बहुत से कानून बनाए है।जिन्होंने भारत में सामाजिक और आर्थिक समानता लाने के लिए बड़ा योगदान दिया है।जमीदारो से जमीन लेकर लोगों को दी गई है।खेती करने वालों को जमीन का मालिक बनाया गया।ऐसे बहुत से कानून है।जिसके तहत देश के वर्किंग क्लास और लेबर क्लास को सशक्त किया गया। इस अवसर पर मुख्य न्यायधीश ने वकीलों के लिए इतनी बड़ी सुविधा के लिए फंड्स उपलब्ध कराने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर जिन्होंने भारत में एक सामाजिक न्याय की भावना से कार्य किया उनकी जयंती के अवसर पर आज इस भवन का उद्घाटन हो रहा है,यह हमारे लिए गौरव की बात है।75 वर्ष के बाद भी भारत मजबूत और यूनाइट मुख्य न्यायधीश ने कहा कि जब 25 नवम्बर 1949 को बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने भारत के संविधान का अंतिम ड्राफ्ट कॉन्स्टिट्यूशनल असेम्बली के सामने रखा था तब उन्होंने जो भाषण दिया वह हमारे देश को दिशा देने वाला था।उन्होंने उस समय एक वार्निंग दी थी कि जब तक हम सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर नहीं करेंगे तब तक इस देश में सही मायनों में जनतंत्र का निर्माण नहीं हो पाएगा। आज हम देखते हैं कि जो हमारे 75 साल की जर्नी रही उसमें हमारी कार्यपालिका और न्यायपालिका ने भारत में समानता के साथ सामाजिक और आर्थिक समानता लाने के लिए बड़ा योगदान दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि जैसा कि मुख्यमंत्री ने भी कहा कि हमारे संविधान ने 75 वर्ष के कालखंड में देश को प्रगति की ओर मजबूती से आगे बढ़ाया है। जब संविधान बन रहा था। तब कहा गया कि संविधान बहुत ज्यादा फेडरल है।तब बाबा साहब ने जवाब दिया था कि यह ऐसा संविधान है जो सामान्य और आपात दोनों ही स्थितियों में भारत को एक और मजबूत रखेगा।आज हम देखते हैं कि हमारे पड़ोस के देशों में क्या स्थितियां हैं और वहीं भारत आज 75 वर्षों के बाद न सिर्फ प्रगति की ओर बढ़ रहा है, बल्कि जब-जब देश पर संकट आया उस समय यह एक मजबूत और यूनाइट रहा है। इसका श्रेय किसी को देना चाहिए तो वह भारतीय संविधान को देना होगा।प्रयागराज पावरफुल लोगों की भूमि’अपने सम्बोधन में मुख्य न्यायधीश ने कहा कि मुझे आनंद है कि भारत के सर्वाेच्च न्यायालय का मुख्य न्यायधीश बनने के बाद पहले आधिकारिक कार्यक्रम में ही मुझे प्रयागराज की पुण्य भूमि पर आपने का अवसर मिला है। प्रयागराज से हमारा बहुत नजदीक का रिश्ता रहा है। उन्होंने कहा कि अभी मंच पर मेघवाल जी ने कहा कि योगी जी इस देश के सबसे पावरफुल और कर्मठ मुख्यमंत्री हैं।मैं कहना चाहूंगा कि इलाहाबाद की भूमि ही पावरफुल लोगों की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में प्रयागराज की भूमि का बहुत गरिमामयी योगदान है। विधिक क्षेत्र में इस भूमि का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है।स्वतंत्रता के पूर्व देश के जो सबसे अच्छे वकील गिने जाते थे उसमें इस धरती से जुड़े मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू तेज बहादुर सप्रू एवं ऐसे अनेक कानूनी विद्वानों का नाम लिया जाता है। इसी प्रकार से भारत का जो हिंदी साहित्य है उसमें भी प्रयागराज के काफी विद्वान जैसे महादेवी वर्मा हरिवंश राय बच्चन सुमित्रानंदन पंत सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सुभद्रा कुमारी चौहान का महत्वपूर्ण योगदान है।भारत के स्वतंत्रता के इतिहास में चंद्रशेखर आजाद का बलिदान को पूरा देश मानता है और गौरवान्वित होता है।’ऐसी सुविधा पूरी दुनिया में कहीं नही’सीजेआई ने कहा कि आज इस भव्य दिव्य इमारत का उद्घाटन करके हम देश के नागरिकों को इसे समर्पित कर रहे हैं।इलाहाबाद उच्च न्यायालय उसके मुख्य न्यायाधीश सभी न्यायमूर्ति भाई-बहन और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वकील संघ के सभी सदस्यों का अभिनन्दन करना चाहूंगा कि पूरे देश के वकील संघ को इस भव्य दिव्य इमारत को देखकर ईर्ष्या हो ऐसी भव्य इमारत आपको मिली है। मैं देशभर में भ्रमण करता रहता हूं कई बार देश के बाहर भी गया हूं, लेकिन पूरी दुनिया में अधिवक्ताओं के लिए इतनी सुविधाओं से युक्त इतनी बड़ी इमारत कहीं भी नहीं देखी है। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि उन्होंने इतनी बड़ी मात्रा में फंड दिया। यही नही मुख्यमंत्री के प्रयासों से सभी जनपदों में भी न्यायिक इमारतों पर काम किया जा रहा है।इसमें न्यायमूर्तियों के साथ ही पक्षकारो वादकारियों और वकीलों के लिए सभी सुविधाएं दी जाएंगी।’बार और बेंच को मिलकर काम करना होगा’उन्होंने कहा कि सरकार ने और उच्च न्यायालय ने सिर्फ जजेज का ही नही वकीलो का ही नहीं, बल्कि जो वादकारी है। उनका भी ध्यान रखा है।हमें बताया गया है कि जो बगल का भूखंड है वहां पर भी एक बड़ा निर्माण होगा वहां जो वादकारी आते हैं उनके लिए भी बड़ी सुविधा प्रदान की जाएगी। इसमें दिव्यांग महिलाओं समेत सभी के लिए खास सुविधा होगी। यह सब बातें दिखाती है कि हम सिर्फ वकीलों या न्यायमूर्तियों के लिए नहीं बल्कि देश के सभी नागरिकों के लिए भी कार्य करते है।जो न्यायपालिका में न्याय की आस में यहां आता है।उन्होंने कहा कि इस अवसर पर खासकर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों का भी जिक्र करना चाहता हूं जिन्होंने इस इमारत के लिए अपने बंगले का बलिदान किया।