राजू आढ़त वाले अपने अहलिया व 5 वर्षीय मासूम लड़के संग उमरा के लिए हुए रवाना

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राजू आढ़त वाले अपने अहलिया व 5 वर्षीय मासूम लड़के संग उमरा के लिए हुए रवाना
लोगों ने उनको फूलों का हार पहनाकर व गले मिलकर पुरनम आंखें से किया रुखसत
भदोही। नगर के मोहल्ला जमुंद स्थित समाजसेवी नसीम अहमद राइन के साहबज़ादे राजू आढ़त वाले अपने अहलिया व 5 वर्षीय मासूम लड़के मोहम्मद संग उमरा शरीफ के लिए रविवार को भदोही स्टेशन पहुंचकर इंटर सिटी से लखनऊ के लिए रवाना हो गए जहां वे सोमवार को मदिनतुर्रसुल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पहुंचने का शरफ़ हासिल करेंगे। इस अवसर पर मेहमाने रसूल अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम व मेहमाने परवरदिगार राजू आढ़त वाले व उनकी अहलिया से मुलाकात करने उनके जमुंद मोहल्ले स्थित आवास पर अलसुबह से ही आते रहे। मुलाकात करने वाले लोगों ने  राजू आढ़त वाले व उनकी अहलिया को फूलों का हार और गुलदस्ता देकर गले मिलें। वहीं 5 वर्षीय मोहम्मद जो दरबारे रिसालत मआब सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के दर का मेहमान बनने का शरफ़ हासिल करने के लिए कूच किया। लोग उस मासूम के चेहरे को देख रश्क कर रहे थे। उस मासूम का चेहरा चौदहवीं के चाँद जैसा चमक रहा था, होंठो पर तबस्सुम लोगो को अपनी तरफ बरबस की खींच रहा था। आये हुए लोगो ने उमरा के दौरान दुआ करने की दरख्वास्त की‌। जहां पर उनको पुरनम आंखों से दयारे हबीब स. के लिए रुखसत किया गया। इस दौरान उनके सफर को आसान करने के लिए दुआ मांगी गई। राजू आढ़त वाले व उनकी अहलिया को विदा करते समय “सुनहरी जाली मुबारक हो’ गुम्बदे खजरा मुबारक हो आदि नारे बुलंद की गई। इस मौके पर राजू आढ़त वाले ने कहा की हज वर्ष में एक बार होता है। लेकिन उमरा के लिए वर्ष में कभी भी जाया जा सकता है। हज में जहां 45 दिन लगते हैं तो वहीं उमरा कर जायरीन 14 दिन में या उससे कम दिन में ही वापस स्वदेश लौट आते हैं। राजू आढ़त वाले व उनकी अहलिया अपने घर परिवार तथा रिश्तेदारों से मिल कर दुवा की दरख्वास्त की और कहा हम उमरा के लिए रवाना हो रहे है दुवा करें अल्लाह पाक उमरा के हर अरकान पूरा करने की तौफीक अता फरमाए वहीं उन्होंने अपने मुल्क में अमन शांति के लिए दयारे मुस्तफा व अल्लाह के दरबार मे पहुंच कर दुआ करने की बात कही। इस दौरान राजू आढ़त वाले ने अपने वालिद नसीम अहमद राइन व अपनी वालिदा का दस्ते मुबारक को चूमते हुए विदा ली। इस मौके पर चाचा नईम अहमद राइन, शमीम अहमद राइन, हाजी मुमताज़ अहमद राइन, हाजी मो.रफीक अहमद, मुनव्वर अली राइन, अख्तर राइन, हाजी मुख्तार राइन, नसरुद्दीन अंसारी, मास्टर शकील, सभासद शफीक राइन, पत्रकार आफताब अंसारी, फिरोज अहमद राइन, कमालुद्दीन अंसारी, जमील अहमद सिद्दीकी, हाफिज इरफान चिश्ती, सुल्तान अहमद राइन, राज राइन, टीपू राइन, पप्पू राइन, गुड्डू राइन, अफजल अंसारी, फैसल अंसारी, अरशद अंसारी आदि मौजूद रहे।

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