मार्दव धर्म सर्व जीवों में और हितकारी जीवन में सारभूत- मुनि अविचल सागर

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मार्दव धर्म सर्व जीवों में और हितकारी जीवन में सारभूत- मुनि अविचल सागर
ललितपुर। मान का मर्दन करने वाला मार्दव धर्म सर्व जीवों का हितकारक और गुण गणों में सारभूत है। मार्दव धर्म को दया धर्म का मूल बताते हुए मुनि श्री ने कहा मान कषाय को दूर करता है मार्दव धर्म पांच इन्द्रिय और मन का निग्रह करता है। मार्दव धर्म से मनुष्यों का बैर दूर हो जाता है परिणामों में निर्मलता आती है और जीवन सार्थक होता है। उक्त विचार अभिनंदनोदय तीर्थ में आचार्य विद्यासागर महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि अविचल सागर महाराज ने पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन मार्दव धर्म पर व्यक्त किए। उन्होने कहा अकड अहंकार घमंड गर्व अभिमान ये सब एक ही बात है। जव मार्दव धर्म हृदय में उतरता है तो यह सब हृदय से पलायन कर जाती है। जहां लोग मैं-मैं कहने लगते हैं मैने यह किया मैने वो किया वही अहंकार का प्रदर्शन है। आपके पास हजारों गुण हो और विनमता न हो तो ध्यान रखना कोई भी आपसे हृदय से बात करना नहीं चाहेगा। यदि आपके पास मार्दव गुण है तो सारी दुनिया आपके सामने झुकने को तैयार है और यदि अंहकार से किसी को झुकाना चाहते हो तो शरीर से शायद झुक भी जाए पर उसके हृदय से पूछो तो वह मन से झुकने को तैयार नहीं होगा। दशलक्षण पर्व श्रावकों को जीवन में संयम और संस्कारों का शंखनाद करने आता है यदि अपने जीवन में कुछ ही ग्रहण कर लिया तो वह कल्याण की ओर प्रशस्त करता है। धर्मसभा का शुभारम्भ श्रेष्ठीजनों ने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के चित्र के सम्मुख दीपप्रज्जविलत कर किया। तत्वार्थ सूत्र का वाचन कु० आशी जैन एवं नेहा जैन द्वारा किया गया जवकि भक्तिपूर्वक अर्घ समर्पित करने का पुर्ण्यजन जिनवाणी संरक्षण मण्डल द्वारा किया गया। कार्यकम का संचालन करते हुए महामंत्री डा अक्षय टडैया ने दिगम्बर जैन पंचायत द्वारा प्रस्तावित आचार्य श्री विद्यासागर गौ उपचार केन्द्र एवं संत सुधासागर पक्षी चिकितसालय हेतु सहयोग की अपील की। आज प्रातःकाल प्रातःकाल जैन मंदिरों में पूजन अर्चन विधान और श्री जी के अभिषेक शान्तिधारा कर श्रावक पुर्याजन कर रहे हैं। मंदिरों में सागानेर जयपुर के आमंत्रित विद्वानों द्वारा प्रवचन हो रहे है जिनके श्रवण हेतु श्रावक पहुंचकर पुर्याजन कर रहे हैं। पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अटामंदिर में सांगानेर के विद्वान पंकज शास्त्री सलंम्बूर ने कहा जहां मृदु भाव या नम्रता नहीं वहां धर्म नहीं विनय भाव के बिा सभी व्यर्थ है। उन्होने मार्दव धर्म को आत्मा अर्थात निजात्मा स्वस्वरूप का धर्म बताया। प्रतिदिन ध्यान प्रतिक्रमण के माध्यम से श्रावक अपनी साधना कर रहे हैं। मध्यान्ह में श्रावकों द्वारा दशलक्षण विधान पूजन आदि कर श्रावक अधिक से अधिक धर्म से जुडकर संस्कारों की सीख ले रहे हैं। आदिनाथ मंदिर सिविल लाइन में ब्रहमचारिणी सीमा दीदी मीना दीदी, पार्श्वनाथ जैन नयामंदिर बडा मंदिर में पं० वैभव शास्त्री, वाहुवलि नगर में सोहित शास्त्री आदिनाथ मंदिर नइवस्ती में अनुज शास्त्री द्वारा शास्त्र प्रवचन हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त नगर के नईवस्ती आदिनाथ मंदिर चन्द्रप्रभु मंदिर डोढाघाट, शान्तिनगर मदिर गांधीनगर इलाइट जैन मंदिर, सिविल लाइन जैन मंदिर में इन दिनों धर्म की अपूर्व धर्मप्रभावना हो रही है। सायंकाल जैन मंदिरों में उपरान्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम बनी हुई है। अभिनंदनोदय तीर्थ में प्रतिभास्थली परिवार द्वारा नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन हुआ वहीं एम्ब्रोसिया कालौनी, पार्श्वनाथ जैन नयामंदिर, बडामंदिर चन्द्रपमु मंदिर डोढाघाट पर धार्मिक आयोजन सम्पन्न हो रहे हैं।

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