भ्रूण हत्या समाज के लिए अभिशाप है

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ललितपुर -नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अटामंदिर में जिनधर्म प्रभाविका आर्यिका सृष्टिभूषण माता जी ने धर्मसभा में जीवन अच्छे संस्कारों के सुष्ख बताते हुए कहा बुरे संस्कार पतन के कारण हैं। प्राचीन गुरुकुल पद्धति को संस्कारों की जननी बताया जहां बच्चों को शिक्षित करके चरित्रवान और धार्मिक शिक्षा के साथ उन्हें धर्मगुरूओं का चरित्र बताया जाता रहा है। उन्होने कहा जव मां-वाप संस्कारहीन होगे तब बच्चे क्या सीखेंगे। समाज में भूण हत्या और तलाक जैसी कुरीति के लिए उन्होने अपने प्रवचन के माध्यम से कहा नारी एक नहीं दो-दो कुलों को संस्कारित करती है आज संस्कारों के अभाव में न तो उसे यह बताया जाता है कि कैसे रिश्ते व्यवहार निभाए जाते हैं और कैसे परिवार चलाया जाता है संस्कार जो मां-बाप से मिलना चाहिए उन्हें अब टीवी और फिल्मों के माध्यम से मिल रहे हैं जिससे पाश्चात संस्कृति को वढावा मिल रहा है और भारतीय संस्कृति कोसो दूर जा रही है। धर्मसभा में आर्यिका माता ने भूण हत्या को समाज के लिए अभिशाप बताया और कहा आज नारी ही नारी की दुश्मन बन रही है जवकि हमें समझना होगा कि वह संस्कारों की कुंजी है वह अपने कुल को संस्कारित करती है। धर्मसभा का शुभारम्भ आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महाराज एवं आचार्य विद्याभूषण सन्मतिसागर महाराज के सम्मुख श्रेष्ठीजनों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मंगलाचरण कविता जैन गौना द्वारा किया गया। धर्मसभा में आर्यिका विश्वयश मति माता जी ने कहा प्रात काल प्रभु के दर्शन करने की वजाह युवा पीढी मोवाइल को देखकर उठती है और वही देखकर सोती है उसे फुरसत ही नहीं रहती कि वह अपने मा-बाप के पास बैठकर अच्छे बुरे के बारे में वात करे। उन्होने कहा विज्ञान भी कहता है कि जन्म के साथ ही बच्चों को मां से दूर रखा जाता है और तरह तरह के टानिक पिलाकर उन्हें स्वस्थ रखा जाता है जवकि बच्चा जितना मां के पास रहेगा वगैर टानिक के स्वस्थ रहेगा। आज श्रावकों ने पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अटामंदिर चौबीसी जिनालायों पर धर्मध्वजा फहराई। इस मौके पर प्रमुख रूप से प्रतिष्ठाचार्य पं० संतोष जैन अमृत मंदिर प्रबंधक मनोजजैन बबीना अजय जैन गंगचारी, मीडिया प्रभारी अक्षय अलया, धन्यकुमार जैन एड, विमल जैन पीहर साडी, कपूरचंद लागौन, शिखरचंद जैन, चंचल पहलवान, पुष्पेन्द्र जैन अनौरा, वीरेन्द्र सिघई कुम्हैण्डी, वीणा जेन अनीता मोदी डा नीलम सर्राफ उमा जैन, ममता मोहनी, किरण सतभैया, सीमा जैन बानपुर आदि मौजूद रहे। सायंकाल आर्यिका माता जी के सानिध्य में गुरू भक्ति में श्रोता झूम उठे।

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