देशविरोधी नारे लिखने वालों का अब तक नहीं मिला कोई सुराग, विश्वविद्यालय प्रशासन भी बरत रहा मामले में ढिलाई

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देशविरोधी नारे लिखने वालों का अब तक नहीं मिला कोई सुराग, विश्वविद्यालय प्रशासन भी बरत रहा मामले में ढिलाई

दिल्ली-एनसीआर
अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में न तो जांच कमेटी गठित की है और न ही पुलिस को कोई शिकायत दी है। एबीवीपी ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इस पूरे मामले पर चुप्पी साधने पर ही सवाल उठाए हैं। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में देशविरोधी नारे लिखने के तीन दिन बीतने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन के हाथ खाली हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन को यह पता नहीं है कि नारे लिखने वाले जेएनयू के छात्र हैं या बाहरी? अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में न तो जांच कमेटी गठित की है और न ही पुलिस को कोई शिकायत दी है। एबीवीपी ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इस पूरे मामले पर चुप्पी साधने पर ही सवाल उठाए हैं। संगठन के नेताओं ने पूछा है कि आखिर जेएनयू कुलपति इस पूरे मामले पर तीन दिन बाद भी क्यों जवाब नहीं दे रही हैं? जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के रेक्टर सतीश चंद्र गारकोटी का कहना है कि कैंपस में बार-बार राष्ट्र-विरोधी नारे लिखने की घटना की जांच के लिए हमने एक समिति गठित करने की योजना बनाई है। लेकिन उससे पहले जेएनयू चीफ सिक्योरिटी अधिकारी की रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट के आधार पर आगे विवि प्रशासन कार्रवाई करेगा। जेएनयू में इस प्रकार के देशविरोधी नारे लिखने का यह पहला मौका नहीं है, जब कैंपस का माहौल खराब करने की साजिश हुई हो। कैंपस में पिछले कुछ महीनों में करीब बार इस बार इस प्रकार के नारे लिखे जा रहे हैं, लेकिन जेएनयू प्रशासन के पास इस विषय पर कोई जवाब नहीं है। उधर, एबीवीपी ने विवि प्रशासन से इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आधार पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। आखिर विवि ने अब तक पुलिस को क्यों नहीं दी शिकायत जेएनयू कैंपस अक्सर देशविरोधी नारे लिखने और लगने के कारण विवादों में रहता है। जेएनयू कैंपस में शुक्रवार रात को स्कूल ऑफ लैंग्वेज भवन में कश्मीर की आजादी, भारत द्वारा कब्जाये गए कश्मीर की आजादी, भगवा जलेगा, ब्राह्मण-बनिया भारत छोड़ो जैसे नारे लिखे गए हैं। हालांकि नारे लिखने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने रविवार को उस पर सफेद रंग करवा दिया, ताकि इन देशविरोधी नारों को मिटाया जा सके। अब सवाल उठता है कि उच्च शिक्षण संस्थान में इतने गंभीर मामला सामने आने के बाद भी जेएनयू प्रशासन ने पुलिस को शिकायत क्यों नहीं दी। विश्वविद्यालय प्रशासन इस पूरे मामले पर अपनी ओर से कोई भी बयान जारी नहीं किया है। जबकि इससे पहले स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्ट्डीज में भी इस प्रकार के नारे लिखे गए थे। उस पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने रंग करवाकर चुप्पी साध ली थी। तीन साल से सीसीटीवी लगाने की बात फाइलों में अटकी जेएनयू एबीवीपी इकाई के अधिकारियों का कहना है कि जेएनयू कैंपस में जनवरी 2020 में हॉस्टल में मारपीट मामले सीसीटीवी लगाने की मांग जोर पकड़ी थी। हालांकि उससे कई साल पहले से सीसीटीवी लगाने की मांग हो रही है। जनवरी 2020 में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा था कि कैंपस, स्कूल, सेंटर, कॉरिडोर में सीसीटीवी लगाए जाएंगे, लेकिन अक्तूबर 2023 आने तक अभी तक सीसीटीवी लगाने की बात फाइलों में ही अटकी पड़ी है। दरअसल, वामपंथी छात्र संगठन सीसीटीवी लगाने का विरोध करते आए हैं। उनका मानना है कि यह छात्रों की निजता पर हमला है। एबीवीपी ने जेएनयू प्रशासन को लिखित शिकायत दी जेएनयू कैंपस में देशविरोधी नारे लिखने के मामले में एबीवीपी ने रविवार को विश्वविद्यालय प्रशासन को लिखित शिकायत दी है। एबीवीपी इकाई मंत्री विकास ने बताया कि कैंपस में पिछले कुछ महीनों में तीन से चार दीवारों पर नारे लिखे गए हैं। यह कैंपस का माहौल खराब करने की साजिश है। इसीलिए विश्वविद्यालय प्रशासन से इस पूरे की जांच करके सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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