एनसीएलटी में जाकर जिम्मेदारियों से बच नहीं पाएंगे बिल्डर, नहीं चलेगी चालाकी, देना होगा घर
दिल्ली-एनसीआर
दरअसल अधिकांश मामलों को देखें तो एनसीएलटी में जाने पर बिल्डर को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है और उसमें फंसे खरीदारों को घर मिलने की उम्मीदें क्षीण हो जाती हैं। अब ऐसा नहीं होगा, बल्कि एनसीएलटी खुद ही परियोजनाओं को पूरा कराएगा। अब दिवालिया होकर खरीदारों को घर देने से बिल्डर बच नहीं पाएंगे बल्कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) खुद अधूरी पड़ी भवन निर्माण परियोजनाओं को पूरा कराएगा। दरअसल अधिकांश मामलों को देखें तो एनसीएलटी में जाने पर बिल्डर को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है और उसमें फंसे खरीदारों को घर मिलने की उम्मीदें क्षीण हो जाती हैं। अब ऐसा नहीं होगा, बल्कि एनसीएलटी खुद ही परियोजनाओं को पूरा कराएगा। उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसी कई परियोजनाएं हैं, जिनमें फंसे खरीदारों को एनसीएलटी के माध्यम से घर मिलने जा रहा है। एक भवन निर्माण परियोजना में एनसीएलटी की कार्रवाई शुरू होने से पूरे समूह के खरीदार फंस जाते हैं और कई सालों के बाद खुद को खाली हाथ पाते हैं। हालांकि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया ने नियमों में बदलाव किया है और कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स के हिस्से के रूप में वित्तीय लेनदारों के रूप में घर खरीदारों की स्थिति को स्पष्ट किया है, लेकिन यह कई मामलों में घर खरीदारों की रक्षा नहीं कर रहा है। कानून में भी संशोधन की तैयारी यही वजह है कि आगामी समय में सरकार दिवालिया कानून में संशोधन कर इसे और आसान बनाने की तैयारी कर रही है क्योंकि यह फंसी संपत्तियों की समाधान प्रक्रिया को पूरा करने में लगने वाले समय को कम करने और संपत्तियों के मूल्य में भारी गिरावट को रोकने के लिए है। एनसीएलटी व एनसीएलएटी ने कुछ ऐसे ही निर्णय दिए हैं, जिससे स्पष्ट है कि अब एनसीएलटी भवन निर्माण परियोजनाओं को पूरा कराने में मददगार बनेगा। धारा-8 के तहत सुनवाई ग्रेटर नोएडा स्थित संपदा लिविया परियोजना रेरा अधिनियम की धारा-8 के अंतर्गत यूपी रेरा द्वारा आवंटियों के संघ को निर्माण हेतु अधिकृत की गई थी लेकिन रेरा के आदेश पर हाईकोर्ट से मुहर लगने के बाद रुद्रा बिल्डवेल ने एनसीएलटी के माध्यम से फर्जी बिल प्रस्तुत कर परियोजना को आवंटियों के संघ से छीनना चाहा और कामयाबी भी मिली। बाद में आवंटियों के संघ ने एनसीएलटी में मजबूत पैरवी की और रुद्रा बिल्डवेल की धोखाधड़ी को उजागर कर पुनः परियोजना प्राप्त की। m ये कदम अच्छे भविष्य के संकेत अधूरी निर्माण परियोजनाओं के घर खरीदारों के लिए एनसीएलटी द्वारा जारी रिवर्स इन्साल्वेंसी का आदेश चर्चा का विषय बन रहा है। इस मॉडल में एनसीएलटी और एनसीएलएटी अदालतें दिवालिया होने की प्रक्रिया शुरू किए बिना शेष निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए मुख्य प्रवर्तक (प्रमोटर) को अनुमति दे रही हैं या अधिकृत कर रही हैं। इसकी वजह नाममात्र की राशि का डिफॉल्ट, प्रमोटर में घर खरीदारों का विश्वास, प्रमोटर की इच्छा शक्ति व मंशा हो सकती है। ग्रेटर नोए़डा स्थित आरजी ग्रुप की परियोजना आरजी लग्जरी होम्स, संभवतः प्रदेश की पहली परियोजना है, जहां एनसीएलटी कोर्ट ने दिवालिया प्रक्रिया की अर्जी खारिज कर मुख्य प्रमोटर को रेजोल्यूशन प्रोफेशनल की निगरानी में निर्माण पूर्ण करने का मौका दिया।