दिव्यांग को कार में जलाकर हड़प लिया 90 लाख रुपये का बीमा, 17 साल पहले खुद की मौत का रचा था स्वांग
दिल्ली-एनसीआर
सत्रह साल पहले हुई वारदात के खुलासे के बाद पारसौल पहुंची पुलिस ने आरोपी का रिकॉर्ड खंगाला। गांव के किसान इंटर कॉलेज से आरोपी का रिकॉर्ड मिल गया है। जांच में पता चला है कि पहचान छुपाने के लिए आरोपी ने नाम बदलकर लाइसेंस और आधार कार्ड बनवा लिए थे। मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति की हत्याकर खुद को मृत दर्शाकर 90 लाख रुपये की बीमा राशि हड़पने के मामले में अहमदाबाद पुलिस शुक्रवार को पारसौल पहुंची। सत्रह साल पहले हुई वारदात के खुलासे के बाद पारसौल पहुंची पुलिस ने आरोपी का रिकॉर्ड खंगाला। गांव के किसान इंटर कॉलेज से आरोपी का रिकॉर्ड मिल गया है। जांच में पता चला है कि पहचान छुपाने के लिए आरोपी ने नाम बदलकर लाइसेंस और आधार कार्ड बनवा लिए थे। पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर आग की जांच में जुटी है।पुलिस मामले में आरोपी के अन्य सहयोगियों की गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी है। अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच पुलिस के मुताबिक मूलरूप से गौतमबुद्ध नगर के पारसौल गांव का निवासी अनिल मलिक ने 3 जुलाई 2006 में आगरा में मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति को खाना खिलाने का लालच देकर कार में बिठाया। उसके खाने में नशे की गोलियां मिला दी। बेहोश होने के बाद आरोपी ने कार में आग लगा दी। बाद में कार में जले व्यक्ति की शिनाख्त परिजनों ने अनिल मलिक के रूप में की थी। पिता, भाई और दोस्तों ने रिकॉर्ड में अनिल को मृत दिखाकर बीमा पॉलिसी के 80 लाख रुपये और कार बीमा के 10 लाख रुपये की राशि हड़प ली थी। वारदात के बाद अनिल मलिक गुजरात के अहमदाबाद में रहने लगा। वारदात के 17 वर्ष बाद अहमदाबाद पुलिस को अनिल की हरकतों पर शक हुआ। छानबीन में इस मामले का खुलासा हुआ। शुक्रवार को दनकौर पहुंची अहमदाबाद पुलिस ने बताया कि अनिल मलिक ने अपना नाम चौधरी राजकुमार रख लिया था। राजकुमार के नाम से ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, आधार कार्ड और बैंक में खाता भी खोल लिया था। परिजनों के संपर्क में था आरोपी अनिल मलिक के पिता विजयपाल सिंह और भाई गाजियाबाद में रहते हैं। पुलिस की जांच में सामने आया कि अनिल भाइयों और दोस्तों के संपर्क में था। पुलिस वारदात में परिजनों के शामिल होने की बात कह रही है। अहमदाबाद पुलिस ने अनिल मलिक को तीन दिन पहले वहीं से गिरफ्तार किया था। शुक्रवार को अहमदाबाद पुलिस अनिल मलिक को लेकर पारसौल के इंटर कॉलेज में पहुंची। अनिल ने 8वीं तक की पढ़ाई पारसौल के किसान इंटर कॉलेज में की थी। रिकॉर्ड में उसका नाम अनिल मलिक ही पाया गया। अनिल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है। इंटर कॉलेज में रिकॉर्ड की पुष्टि करने और आवश्यक प्रमाण पत्र ले जाने के बाद अहमदाबाद पुलिस उसे अपने साथ ले गई। पुलिस का कहना है कि आवश्यक रिकॉर्ड उपलब्ध करने के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेजा जाएगा। ग्रेनो में हुई थी ऐसी ही वारदात: ग्रेटर नोएडा में भी ऐसी ही एक वारदात हुई थी। वर्ष 2014 में अल्फा-2 निवासी चंद्र मोहन शर्मा ने अपनी मौत का स्वांग रचा था। उसने मानसिक रूप से दिव्यांग को कार में बैठकर जला दिया था। आरोपी चंद्र मोहन तथाकथित आरटीआई एक्टिविस्ट था और समाजसेवा का दिखावा करता था। वारदात को अंजाम देने के बाद चंद्र मोहन शर्मा बेंगलुरु में प्रेमिका के साथ रहने लगा था। हालांकि कुछ महीने बाद ही पुलिस ने मामले का खुलासा कर चंद्रमोहन और उसकी प्रेमिका को बेंगलुरु से गिरफ्तार कर लिया था।