श्वेतिमा माधव प्रिया ने सप्तम दिवस पर सुनाया सुदामा चरित्र और कृष्ण का निजधाम गमन, श्रद्धालु हुए भावविह्वल

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गोरखपुर। बहार क्लस्टर, सहारा स्टेट, गोरखपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के सप्तम दिवस (विश्राम दिवस) पर विश्व की सबसे कम आयु की अंतर्राष्ट्रीय बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने सुदामा चरित्र और भगवान श्रीकृष्ण के निजधाम गमन का भावपूर्ण और अलौकिक वर्णन कर श्रद्धालुओं को भक्ति-रस से सराबोर कर दिया।
उन्होंने सुदामा चरित्र सुनाते हुए कहा कि सच्ची मित्रता और भक्ति का अर्थ केवल सांसारिक सहयोग नहीं, बल्कि हृदय का सच्चा समर्पण है। भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा के तिनके चावलों को प्रेमपूर्वक स्वीकार कर यह सिद्ध किया कि भक्ति ही ईश्वर के लिए सर्वोच्च धन है।
इसके बाद उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के निजधाम गमन का हृदयस्पर्शी प्रसंग सुनाया। जब झांकी में कृष्ण के स्वधाम गमन का दृश्य प्रस्तुत हुआ, तो पंडाल करुणा और भक्ति से भर गया। श्रद्धालुओं की आँखें नम हो गईं और पूरा वातावरण “जय श्रीकृष्ण” के जयकारों से गूंज उठा।
कथा के समापन पर भागवत विश्राम हवन सम्पन्न हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार और अग्नि की पवित्र लपटों ने वातावरण को दिव्यता से आलोकित कर दिया। तत्पश्चात भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और इसे जीवन का सौभाग्य माना।
आयोजक एवं यजमान: अनिल श्रीवास्तव एवं विनीता श्रीवास्तव
कथा संयोजिका: डॉ. सरिता सिंह, डा राकेश सिंह
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित रहे बांसगांव के विधायक डॉ विमलेश पासवान, सजनवा के विधायक प्रदीप शुक्ला, ब्लॉक प्रमुख दिलीप यादव, राजेश सिंह राजन , डा विनय श्रीवास्तव,
सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय, आचार्य गौरव पाण्डेय काशी, संजय श्रीवास्तव, रणविजय सिंह, उदय शंकर ओझा, भानु प्रताप सिंह, राजू सिंह, पुष्पेंद्र शुक्ला, अभिनव जायसवाल, देवेन्द्र प्रताप मिश्र, प्रेम कुमार मिश्र, जय प्रकाश श्रीवास्तव, बृजेंद्र सिंह, राजेश सिंह राजन, डा विनय श्रीवास्तव,डॉ. राकेश सिंह, नीतेश शुक्ला, डॉ. रागिनी पाण्डेय (देहदानी) डा नारायण यादव,लव मिश्रा, सत्य प्रकाश, अर्चना दुबे, तथा बाल भक्त सौराष्ट्र सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु।
श्रद्धालुओं ने कहा कि आठ वर्षीय श्वेतिमा माधव प्रिया, जो धरा धाम प्रमुख सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय एवं डॉ. रागिनी पाण्डेय की सुपुत्री हैं, ने अपनी 24वीं श्रीमद्भागवत कथा में जिस भक्ति-भाव और दिव्यता का संचार किया, वह जीवनभर अविस्मरणीय रहेगा।

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