श्रावस्ती:- उप्र संस्कृत संस्थान लखनऊ की ओर से संचालित गृहे-गृहे संस्कृतम् शिविर का समापन सोमवार को सिरसिया ब्लॉक क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर गोड़पुरवा में किया गया। मुख्य अतिथि अभिषेक पाण्डेय ने सरस्वती मां के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
मुख्य अतिथि ने कहा की संस्कृत शिक्षण का सांस्कृतिक एवं व्यावहारिक महत्व बहुत ही व्यापक और गहरा है। संस्कृत न केवल एक प्राचीन भाषा है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, दर्शन, साहित्य, और धार्मिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है। संस्कृत की शिक्षा से व्यक्ति न केवल भाषा की समझ विकसित करता है, बल्कि वह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर से भी जुड़ता है। संस्कृत, विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक (वेद) की भाषा है। इसलिए इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी प्रकार संशय की संभावना नहीं है, कि विश्व में संस्कृत को उपयोगी भाषा के रूप में माँग बढ़ रही हैं, किन्तु हमारे देश में हम सब लोग उसे उपेक्षित कर रहे हैं हमे अपनी मूल भाषा को अपनाना होगा।शिक्षिका मोहिनी शुक्ला ने बताया कि संस्कृत की सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठता भी स्वयं सिद्ध है। विद्यालय के अध्यापक सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्य की धनी होने से इसकी महत्ता भी निर्विवाद है। सरस्वती वंदना विद्यालय की छात्रा खुशी, अंशिका, दीक्षा ने गाया। संचालन संस्कृत प्रशिक्षक बृजेश कुमार ने किया।