सन 1840 ई0 से निकल रहा है मोहल्ला जमुंद से पूर्व चेयरमैन स्व.असगर खां के आवास से अख्तर खां के नेतृत्व में दुलदुल का जुलूस सुरक्षा की दृष्टि से काफी संख्या में पुलिस के जवानों की रही तैनाती भदोही के जमुंद मोहल्ले का ऐतिहासिक दुलदुल के जुलूस में हजारों की संख्या में शामिल रहे अकीदतमंद भदोही। नगर के मोहल्ला जमुंद से ऐतिहासिक दुलदुल का जुलुस 1840 ई0 से पूर्व चेयरमैन स्व.मो.असगर अली खां के पुत्र अख्तर खां के आवास से निकाला जा रहा है। मोहर्रम की आठवीं तारीख सोमवार को दोपहर के समय दुलदुल का जुलूस पूरी अकीदत व एहतेराम के साथ निकाला गया। इस बीच अकीदतमंदों ने दुलदुल को दूध व जलेबी खिलाकर अपनी-अपनी मन्नतों को पूरा किया। काफी तायदाद मे आईं मुस्लिम एवं हिन्दू महिलाओं ने नजरान-ए-अकीदत पेश किया तो वहीं मासूम बच्चों ने भी दुलदुल की जियारत कर दूध व जलेबी खिलाकर शहीदाने कर्बला को खिराज-ए-अकीदत पेश किया। दुलदुल के जुलुस में हजारों की तादाद में जहां मुस्लिम महिलाएं शामिल रही तो वही हिन्दू महिलाओं ने भी अपनी आस्था लिए हुए दुलदुल को दूध व जलेबी खिलाकर मन की मुरादों को पूरा किया और भदोही की गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की। इस अवसर पर दुलदुल का जुलुस अपने कदीमी रास्ते से नगर मोहल्ला जमुंद से होते हुए बाजार सलावत खां, अम्बर नीम तले, गोरियाना, पचभैया, मलिकाना, सोनराना, कसाई टोला से निकलकर मेन रोड दाता कल्लन शाह तकिया पहुंचा। मेन रोड होते हुए भरत टाकिज के पास कर्बला में देर शाम पहुंचा तो वहां पर दुलदुल को ठंडा किया गया। जहां पर फातेहा पढ़ शहीदाने कर्बला को नजरान-ए-अकीदत पेश किया गया। जुलुस के साथ अखाड़ा मोहम्मदिया जमुंद, अखाड़ा कल्लन शाह तकिया के खिलाड़ियों ने जगह-जगह अपनी कला कौशल का प्रदर्शन कर कर्बला के मंजर को दर्शा रहे थे। वहीं ढोल नगाड़े बजाकर मैदाने कर्बला में हुए जंग से पहले बजने वाले नगाड़े की याद दिलाया गया। जुुलूस के मद्देनजर काफी संख्या में पुलिस के जवानों की तैनाती रही। वहीं उपजिलाधिकारी भानसिंह , क्षेत्राधिकारी अजय कुमार चौहान, कोतवाल अश्वनी कुमार त्रिपाठी, कस्बा चौकी प्रभारी वीरेंद्र सिंह सहित एलआईयू तथा प्रशासनिक खुफिया तंत्र जुलूस के आगे-आगे चलकर उसकी निगरानी कर रहे थे। वहीं नगर पालिका भदोही के ठेकेदार हारून खां दुलुदुल जुलूस में प्रकाश व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करते हुए नजर आए। इस मौके पर सभासद गुलाम हुसैन संजरी, अलाउद्दीन खां, अनस अंसारी, सुफियान अंसारी, दानिश सिद्दीकी रूमी, अकबर अली अंसारी, फहीम अख्तर सिद्दीकी, वसीम अख्तर सिद्दीकी, सहाबुद्दीन खां, नदीम सिद्दीकी, जावेद खां, बदरे आलम, दानिश सिद्दीकी, हसीब खां, एकबाल खां, हलीम खां, गुड्डू खालसा, इरफान खां, कमाल खां, शहनवाज खां, शौकत खां, मिस्बाह खां, आफताब अंसारी, हैदर संजरी, खुर्शीद खां, हाजी कफील खां मोनू, बबलु सिद्दीकी, शाहिद सिद्दीकी मोनू, फखरे आलमा संजरी, सदरे आलम संजरी, फैसल खां, शीलू खां, शानू खां, आरिफ खान, इमरान खां, सलीम खां, जिया सिद्दीकी, अल्तमस अंसारी, हसनैन सिद्दीकी, अंसारुल खां, अनवार खां, कैफ खां, अमान खां आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।