नजफगढ़ थाना इलाके में पत्नी पर दाव से जानलेवा हमला करके हत्या की कोशिश के मामले में 18 साल से फरार चल रहे वांटेड को क्राइम ब्रांच की टीम ने आखिरकार असम से गिरफ्तार कर लिया है। इसे पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच की पुलिस कर्मियों को NGO वाला बनना पड़ा और असम के जंगलों में जाकर कई दिनों तक भटकना पड़ा।
डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान नूर मोहम्मद के रूप में हुई है। इसने 2006 में नजफगढ़ इलाके में पत्नी पर जानलेवा हमला कर दिया था। जब वह आपसी विवाद को सुलझाने के लिए उसके घर पहुंची थी। दाव से हमला में वह बुरी तरह घायल हो गई थी, उसे नजदीक के अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। उस वारदात के बाद से आरोपी वहां से फरार हो गया। उसके बाद से यह पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया। 2008 में द्वारका कोर्ट ने इसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। इस मामले में वांटेड को पकड़ने के लिए एसीपी रमेश चंद्र लांबा की देखरेख में इंस्पेक्टर पंकज मलिक, रोहित कुमार, एसआई देवेंद्र सिंह की टीम को लगाया गया था। इस टीम में शामिल हेड कांस्टेबल नरेंद्र, गजेंद्र और कांस्टेबल रविंद्र ने टेक्निकल सर्विलांस और इनफॉर्मर की मदद से पता लगाने में जुटी हुई थी। आखिरकार पुलिस को पता चला कि यह भारत – बांग्लादेश के असम बॉर्डर के पास छुपा हुआ है। सुदूर गांव के जंगल वाले एरिया में। पुलिस टीम उसके ठिकाने के बारे में सही जानकारी के लिए लकड़ी काटने वाले एक एनजीओ के रूप में अपने आपको प्रोड्यूस किया। तीन दिन तक वहां लगातार एनजीओ के रूप में काम करती रही और उसके बाद जब पुलिस को इसके बारे में सही जानकारी मिल गई तो नूर मोहम्मद को वहां से गिरफ्तार कर लिया गया। कोर्ट में पेश करने के बाद इसे जेल भेज दिया गया है।