सामान्य इंसान के भी उलझ रहे दिल के तार, बहुत लोग हो रहे हैं हाइपरटेंशन का शिकार

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सामान्य इंसान के भी उलझ रहे दिल के तार, बहुत लोग हो रहे हैं हाइपरटेंशन का शिकार

दिल्ली
एक दिन अचानक सिर में दर्द हुआ तो डॉक्टर ने हृदय विशेषज्ञ से मिलने को कहा। वह डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पहुंचे। यहां जांच में बीपी सामान्य पाया गया, लेकिन जब थर्मो मैकेनिकली ट्रीटेड (टीएमटी) टेस्ट करवाया, तो बीपी के स्तर में तेजी से उतार-चढ़ाव दिखा। अच्छे भले महेश फिलहाल इलाज करवा रहे हैं।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए महेश रोज सुबह दो किलोमीटर की दौड़ लगाते हैं और स्वस्थ भोजन करते हैं। नियमित रक्तचाप भी सामान्य है। एक दिन अचानक सिर में दर्द हुआ तो डॉक्टर ने हृदय विशेषज्ञ से मिलने को कहा। वह डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पहुंचे। यहां जांच में बीपी सामान्य पाया गया, लेकिन जब थर्मो मैकेनिकली ट्रीटेड (टीएमटी) टेस्ट करवाया, तो बीपी के स्तर में तेजी से उतार-चढ़ाव दिखा। अच्छे भले महेश फिलहाल इलाज करवा रहे हैं। सहूलियत की बात यह है कि समय से पहले उनकी बीमारी पकड़ में आ गई। विशेषज्ञ बताते हैं कि महेश अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो खुद को सामान्य मानते हैं, लेकिन जांच के बाद दिल व किडनी के रोगी पाए हैं। दरअसल, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने कार्डियोलॉजी विभाग में इलाज के लिए आ रहे महेश जैसे 103 मरीजों पर एक अध्ययन किया। अध्ययन में शामिल सभी मरीज 32 से 52 साल के उम्र के थे। पहली जांच में सभी का बीपी स्तर सामान्य पाया गया, लेकिन इनमें थकान, सिर में दर्द, नींद न आना, सांस फूंलना, ध्यान न लग पाना, उलझन बनना जैसे लक्षण दिखे। लक्षण दिखने के बाद सभी मरीजों की किडनी की जांच सहित अन्य टेस्ट किए गए। साथ ही इन मरीजों के शरीर पर एंबुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग (एबीपीएम) मशीन लगाई गई। इन जांच के बाद सभी मरीजों में कुछ न कुछ बदलाव मिला। इनमें 38.8 फीसदी हाइपरटेंशन के मरीज पाए गए।हर घंटे मरीज के बीपी का स्तर मापाअध्ययन में शामिल सभी 103 मरीजों के शरीर पर एंबुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग मशीन लगाई गई। मशीन की मदद से हर घंटे मरीज के बीपी का स्तर मापा गया। अध्ययन में शामिल मरीज जब डॉक्टर के पास आए थे, उस समय बीपी मापने पर स्तर सामान्य पाया गया, लेकिन लक्षण विपरीत थे, जिस कारण हर घंटे का बीपी स्तर देखा गया। जांच में पाया गया कि समय के हर घंटे की जांच में बीपी का स्तर तेजी से बदल रहा है जो दिल को बीमार कर सकता है। इसमें यह भी पाया गया कि ऐसे मरीजों के किडनी से प्रोटीन निकल रहा है, जिसका पता पेशाब की जांच से चला। a कम उम्र में ही युवा हाइपरटेंशन के हो रहे मरीज अध्ययन के संबंध में डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष व निदेशक प्रोफेसर डॉ. आरके नाथ ने बताया कि बीपी रिस्पांस इन मास हाइपरटेंशन विषय पर किए गए अध्ययन में पाया कि कम उम्र में युवा हाइपरटेंशन के मरीज हो रहे हैं। जो आने वाले दिनों में गंभीर रूप से दिल, दिमाग सहित अन्य अंगों के मरीज हो सकते हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात है कि सभी पूरी तरह स्वस्थ हैं और खुद को बीमार नहीं मानते। ऐसी अवस्था में उपचार करवाने नहीं जाते तो आने वाले दिनों में मल्टी ऑर्गन फेलियर के शिकार हो सकते हैं। यह अध्ययन जल्द ही इंडियन हार्ट जनरल में प्रकाशित होगा। थ्रीडी की मदद से इलाज हुआ आसान एम्स में दिल के मरीजों के इलाज में थ्रीडी मददगार साबित हो रहा है। इसकी मदद से रोग को जल्दी और आसानी से समझा जा सकता है। साथ ही कार्डियोलॉजी विभाग के छात्र दिल के बारे में सही जानकारी हासिल कर पा रहे हैं। इस तकनीक को एम्स में शुरू करने वाले कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सौरभ गुप्ता ने बताया कि रोग को समझने के लिए सीटी स्कैन करते हैं। इनके डाटा को समझने के लिए भारी-भरकम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसे में इसके विकल्प के तौर पर मुफ्त सॉफ्टवेयर की मदद से थ्रीडी का विकल्प तैयार किया है। इसमें लाल और नीले रंग से आकार को बनाया जाता है जिसे उपकरण की मदद से देखने पर हू-ब-हू स्थिति लगती है जिससे सर्जन को रोग समझने, छात्रों को पढ़ने और मरीज को अपने मर्ज को जानने में मदद मिल जाती है। यह काफी कारगर है और एम्स में इसकी मदद से काफी लाेगों को राहत मिली है।

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