ऐसी की तैसी

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ऐसी की तैसी

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त,

एक दिन कबीर तुलसी बिहारी रहीम बृंद आदि कवियों ने परलोक से देखा कि आजकल के छोकरे मनमाने ढंग से ट्वीट करते हुए रातों-रात प्रसिद्धि प्राप्त कर रहे हैं। शॉर्टकट की प्रसिद्धि लॉन्गकट पर भारी पड़ रही है। इन कवियों ने निर्णय किया कि वे आजकल के छोकरो को मजा चखाने और नैतिक मूल्यों का महत्व समझाने के लिए उनसे वन टू वन मुलाकात करेंगे। धरती लोक पर पहुंचते ही कबीर ने अपने प्रसिद्ध दोहे काल करे से आज कर… सुनाकर समय का महत्व समझाना चाहा। तभी एक छोकरे ने कहा कल आज और कल की, भैया मत कर बात। गर पी एम बनना है, कर केवल मन की बात।। तुलसीदास को बीत्ते भर के लड़के पर बड़ा गुस्सा आया। कबीर के अपमान को वह सह न सके और तुरंत पलटवार करते हुए कहते हैं – तुलसी इस संसार में सबसे मिलिए धाय। न जाने किस भेस में, नारायन मिल जाए।। तुलसी को लगा आज की पीढ़ी को अच्छे से सबक सिखा दिया है। तभी एक ने कहा हमारे इस संसार में, सबसे न मिलिए भाय। न जाने किस मुंह हाथ से, कोरोना फैल जाय।। तुलसी कोरोना का नाम सुनते ही सकपका गए। तुरंत उन्होंने अन्यों से दूरी बना ली। तभी बिहारी ने तुरंत कनक कनक ते सौ गुनी वाला दोहा सुना कर मनुष्य के लालच से फैले कोरोना पर वार करना चाहा। तभी एक नेता जी ने कहा – भ्रष्ट भ्रष्ट से जो मिले सत्ता बन जाए। इहि हाथ लूटे भैया, उही हाथ लेवत जाए।। इतना सुनना भर था कि चारों कवि वहाँ से रफू चक्कर हो जाते हैं।

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